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औरंगजेब के अत्याचारों से बचने के लिए तेग बहादुर के पास गए थे कश्मीरी पंडित, जानिए सिखों के नौवें गुरु की कहानी

Updated Feb 01, 2021 | 15:23 IST

सिखों के नौवें गुरु को बोहरा साहिब भी कहा जाता है। जानिए बोहरा साहिब कश्मीरी पंडितों और औरंगजेब की कहानी। कैसे औरंगजेब के चंगुल से बचकर निकल गए थे बाहर...

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Bhora Sahib
मुख्य बातें
  • सिखों के नौवें गुरु को बोहरा साहिब भी कहा जाता है।
  • सन् 1675 में मुगल शासक औरंगजेब के अत्याचार बढ़ते जा रहे थे।
  • कश्मीरी ब्राह्मण 25 मई 1675 को आनंदपुर साहिब गुरु तेग बहादुर के शरण में पहुंचे।

नई दिल्ली. सन् 1675 में इसी जगह से औरंगजेब ने भोरा साहिब को गिरफ्तार किया था। इस जगह की सबसे खासियत यह हैं कि यहां गुरु ताल में ही भोरा साहिब जी है। यह एक गुफा हैं, जहां 24 घंटे गुरु ग्रंथ साहिब जी का पाठ चलता रहता हैं।

सन् 1675 में मुगल शासक औरंगजेब के अत्याचार बढ़ते जा रहे थे। उसने कश्मीर ब्राह्मणों से कहा था कि मुसलमान बनो नहीं तो तुम्हारी हत्या कर दी जाएगी। कश्मीर के ब्राह्मण ने औरंगजेब से कुछ समय मांगा था। उसके बाद वे सब अमरनाथ गुफा जाकर भगवान शिव से प्रार्थना की थी। 

गुफा में हुई आकाशवाणी के आधार पर कश्मीरी ब्राह्मण 25 मई 1675 को आनंदपुर साहिब गुरु तेग बहादुर के शरण में पहुंचे। गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी ब्राह्मणों के मुखिया कृपा रामदत्त से कहा कि काशी ब्राह्मणों को साथ लेकर दिल्ली जाएं। 

औरंगजेब ने दिया गिरफ्तारी का आदेश
दिल्ली जाकर औरंगजेब से जाकर कहे कि हिंदुओं के पीर सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर मुसलमान बन जाएंगे, तो भारतवर्ष स्वयं ही मुस्लिम हो जाएगा। इस पर औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर की गिरफ्तारी का आदेश जारी कर दिया। साथ ही 5OO मोहरें इनाम की घोषणा करवा दी। 

आगरा के ककरैठा गांव का रहने वाला चरवाहा हसन अली खां ने यह देखकर सोचा कि अगर मैं यह बात को बता दूं तो मेरी गरीबी आसानी से दूर हो जाएगी। ऐसा कहा जाता हैं कि चरवाहे की इच्छा पूरी करने के लिए गुरु तेग बहादुर 1675 के अक्टूबर माह में आगरा आ गए। 

पानी की जगह बकरी का दूध
गुरु तेग बहादुर नें बादशाही बाग में अपना डेरा भी डाला लिया। इसी जगह पर हसन अली खां बकरियां चराया रहा करता था। जान बूझकर गुरु ने उससे पानी मांगने का बहाना किया। लेकिन वह पानी की जगह बकरी का दूध लेकर आया। 

गुरु ने फिर पानी मांगा तो हसन अली खां पानी खारा होने की बात कहीं। तब गुरु ने पानी लेकर आने की आज्ञा दी। हसन अली खां पानी लेकर आया तो वह पानी मीठा हो गया था। जिस जगह से हसन खां पानी लाया था वह कुआं गुरुद्वारा की पूर्व दिशा में स्थित है। 

दुकानदार को हुआ शक
गुरु को हसन अली खां की इच्छा पूरी करनी थी, इसलिए उन्होंने हसन अली खां को अपने हीरे की अंगूठी और दुशाला देकर कहा कि कुछ खाने के लिए लेकर आओ। 

हीरे की अंगूठी देखकर दुकानदार को शक हुआ कि यह हीरे की अंगूठी कहीं चोरी की तो नहीं हैं। उसने यह सोचकर कोतवाल को इसकी सूचना दे दी। यह कहने के बाद गुरु की जानकारी औरंगजेब को मिल गई और गुरु साहब को वहां से गिरफ्तार कर लिया गया। 

नौ दिन तक बनाया बंदी
गुरु साहिब को 9 दिनों तक बंदी बनाकर रखा गया फिर 9 दिनों के बाद वहां से दिल्ली ले जाया गया। गुरु ने मुसलमान बनना स्वीकार नहीं किया। जिससे औरंगजेब ने उन्हें मरवा दिया। वह जगह आज भी दिल्ली में स्थित हैं। 


इसके बाद से गुरु साहब हिंद की चादर बन गए। तो यह थी गुरु साहेब की पवित्र कहानी अगर आप उनके भक्त है, तो उनका दर्शन जरूर करें। यकीन मानिए आपकी जिंदगी की जितनी भी पीड़ा हैं, वह हमेशा के लिए दूर हो जाएंगी।

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