- जहां हिंसा या दंगा भड़क वहां से हो जाएं दूर
- अकारण युद्धक्षेत्र में रहना हो सकता है जानलेवा
- अर्थव्यवस्था चरमरा रही हो वहां से निकल लेना चाहिए
Chanakya Neeti in Hindi: चाणक्य नीतियां हमेशा लोगों को कठिन परिस्थितयों से बाहर निकलने का रास्ता दिखाती हैं। आचार्य चाणक्य ने इसमें मुश्किल हालातों से निकलने व सफलता प्राप्त करने के कई उपाय बताए हैं। आचार्य ने अपने उपायों में लोगों को विपरीत परिस्थितियों से मुंह मोड़ने की बजाय उनका सामने करने को कहते हैं, लेकिन उन्होंने चार ऐसे हालात भी बताए हैं, जहां से भागना ही बेहतर होता है। क्योंकि इन परिसिथतियों में साहस और दिमाग काम नहीं आता है। अगर कोई व्यक्ति रूककर इन परिस्थितियों का सामना करने की कोशिश करे तो वह बुरी तरह से फंस सकता है, यहां तक की उसकी जान भी खतरे में पड़ सकती है।
उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे।
असाधुजनसंपर्के य: पलायति स जीवति
हिंसा से दूरी
आचार्य चाणक्य कहते है कि अगर कहीं पर हिंसा या दंगा भड़क जाए, तो व्यक्ति को वहां से तुरंत भाग जाना चाहिए। क्योंकि इस तरह के उपद्रव में भीड़ बेकाबू होती है, वह किसी पर और कभी भी हमला बोल सकती है। जो जानलेवा हो सकता है। इसलिए वहां से जान बचाकर भागने में ही समझदारी है। ऐसी जगह पर ज्यादा देर तक टिकने से आप कानूनी कार्यवाही में भी फंस सकते हैं।
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लड़ाई
आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में बताया कि जब दो राज्यों या सेना के बीच युद्ध हो तो उस जगह से समय रहते निकलना ही अच्छा है। वरना युद्ध के दौरान आप भी उसके चपेट में आकर नुकसान उठा बैठेंगे। आचार्य कहते हैं कि बगैर किसी रणनीति या बचाव के युद्ध क्षेत्र में रहना जानलेवा हो सकता है। इसलिए वहां से फौरन भागने में ही भलाई है।
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अर्थव्यवस्था
आचार्य चाणक्य का मानना है कि जिस जगह की अर्थव्यवस्था चरमरा रही हो वहां से मौका मिलते ही निकल लेना चाहिए, नहीं तो आगे चलकर खाने-पीने, रहने के संसाधनों के लिए तरसना पड़ सकता है। साथ ही आपको भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है। ऐसी जगह पर ज्यादा दिन तक रुकने से नुकसान को भी उठाना पड़ सकता है।
अपराधी
नीति शास्त्र के इस श्लोक के अनुसार अगर कोई अपराधी व्यक्ति आपके पास आ जाए तो वहां से तुरंत ही निकल जाना चाहिए। क्योंकि इससे आप भी कानूनी झमेले में पड़ सकते हैं, साथ ही अपराधी व्यक्ति का व्यक्तित्व आपके मान-सम्मान पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा और आपकी छवि खराब होगी।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)