- चाणक्य के अनुसार आर्थिक रूप से समृद्ध व्यक्ति को करना चाहिए दान।
- दान करने से मान सम्मान में होती है वृद्धि और समाज में मिलता है ऊंचा दर्जा।
- चाणक्य कहते हैं कि विद्या का दान सबसे श्रेष्ठ है, क्योंकि यह कभी खत्म नहीं होता।
Chanakya Niti in hindi on charity : आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में दान को विशेष महत्व दिया है। आचार्य चाणक्य को अर्थशात्र और नीतिशास्त्र का जनक कहा जाता है। चाणक्य की नीतियां आज के युग में भी काफी प्रासंगिक हैं। एक श्लोक के माध्यम से चाणक्य कहते हैं कि दान करने से व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होती है। इसके अलावा चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में दान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया है। आइए जानते हैं।
चाणक्य नीति में दान का महत्व
आचार्य चाणक्य के अनुसार आर्थिक रूप से समृद्ध व्यक्ति को दान करना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि दान करने से इसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही दान देने वाले व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होती है और समाज में ऊंचा दर्जा मिलता है।
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जरूरतमंद व्यक्ति को ही करें दान
चाणक्य एक श्लोक के माध्यम से अपने नीतिशास्त्र में कहते हैं कि दान हमेशा जरूरतमंद व्यक्ति को देना चाहिए, जो इसका महत्व समझता हो। भूखे व्यक्ति को भोजन कराएं ना कि जिसका पेट भरा हुआ है। क्योंकि जिसका पेट भरा हुआ है वह भोजन के महत्व को नहीं समझेगा।
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विद्या दान महाकल्यांण
चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में विघा दान, भू दान, कन्या दान, वस्त्र दान, अन्न दान और गो दान को सर्वोत्तम दान की श्रेंणी में रखा है। चाणक्य कहते हैं कि विद्या का दान सबसे श्रेष्ठ है, क्योंकि यह कभी खत्म नहीं होता इससे व्यक्ति का मानसिक विकास होता है।