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Chaturmas 2022: चातुर्मास में इस तरह के भोजन से रहें सावधान, हो सकती हैं पेट से जुड़ी तमाम समस्याएं

Updated Jun 20, 2022 | 19:53 IST

Chaturmas 2022 Rule: हिंदू धर्म में महीने का चौथा महीना आषाढ़ महीना होता है और इस महीने में चतुर्मास की शुरुआत होती है। आषाढी एकादशी के दिन से 4 महीने के लिए देव निद्रा अवस्था में होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चतुर्मास 10 जुलाई से शुरू हो रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
chaturmas 2022
मुख्य बातें
  • हिंदू धर्म में मान्यता है कि यह 4 महीने श्रीहरी समेत सभी देव निद्रा में होते हैं
  • हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चतुर्मास 10 जुलाई दिन रविवार से प्रारंभ होकर 4 नवंबर दिन शुक्रवार तक समापन है
  • हिंदू धर्म में मान्यता है कि चतुर्मास का समय ध्यान व साधना के लिए सबसे अच्छा माना जाता है

 Chaturmas 2022 Ke Niyam: चतुर्मास का प्रारंभ आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से होता है। चतुर्मास को चौमासा भी कहते हैं। चतुर्मास यानी श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक यह चार महीने कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि यह 4 महीने श्रीहरी समेत सभी देव निद्रा में होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चतुर्मास 10 जुलाई दिन रविवार से प्रारंभ होकर 4 नवंबर दिन शुक्रवार तक समापन है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि चतुर्मास का समय ध्यान व साधना के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। चतुर्मास में ही भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महा सावन यानी श्रावण भी आता है। शास्त्रों के अनुसार चतुर्मास के समय पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है, इसलिए कुछ ऐसी चीजें नहीं खानी चाहिए जिससे स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो जाएं। आइए जानते हैं चतुर्मास में किन भोजन को नहीं करना चाहिए।

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पूरे दिन में एक टाइम करें भोजन

हिंदू शास्त्रों के मुताबिक चतुर्मास चार माह का होता है और इस महीने में केवल दिन में एक बार ही भोजन करना चाहिए। ऐसा करना उत्तम माना जाता है। पूरे दिन में एक टाइम भोजन व रात में फलाहार करना चाहिए। ऐसा करने से मन शांत रहता है और उल्टे सीधे ख्याल नहीं आते हैं।

इस तरह का भोजन न करें

चतुर्मास के माह में दूध, शक्कर, दही, तेल, बैगन, पत्तेदार सब्जी, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस, मदिरा व तेल से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा गुण, शहद और मूली का भी सेवन नहीं किया जाना चाहिए। इससे पेट से संबंधित कई समस्याएं हो जाती है।

पानी के दूषित होने की संभावना बढ़ जाती है

इसके अलावा इन 4 माह में लहसुन, प्याज, उड़द की दाल का भी सेवन नहीं किया जाना चाहिए। चतुर्मास के समय पाचन शक्ति कमजोर होने के साथ-साथ पानी के दूषित होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए जल से संबंधित बीमारियों के बढ़ने की आशंका ज्यादा होती है। चतुर्मास के दौरान व्रत , सुपाच्य, योग्य करना बेहतर होता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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