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Ekadashi Aarti: एकादशी की पूजा के बाद करें ये पावन आरती, देखें एकादशी आरती इन ह‍िंदी

Updated Jul 20, 2021 | 16:30 IST

Devshayani Ekadashi 2021 : एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि के साथ माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती हैं। इस दिन की पूजा आराधना व्यक्ति को मोह-माया के बंधनों से मुक्त करती है।

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एकादशी आरती ल‍िर‍िक्‍स ह‍िंदी में
मुख्य बातें
  • एकादशी का दिन बेहद पवित्र माना जाता है
  • एकादशी का दिन भगवान श्री हरि का दिन होता है
  • एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं

Ekadashi Aarti Lyrics 2021: हिंदू धर्म के अनुसार 1 साल में 24 एकादशी व्रत होते हैं। इन 24 एकादशी को हिंदू धर्म में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। शास्त्र के अनुसार इस दिन भगवान श्रीहरि की पूजा-आराधना करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। यदि आप अपने जीवन में संकटों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो एकादशी के दिन भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने उनकी यह विशेष आरती जरूर पढ़ें। यकीन मानिए यह आरती आपके घर में सुख-समृद्धि लाने का काम करेगी। यहां आप एकादशी की विशेष आरती हिंदी लिरिक्स के साथ पढ़ सकते हैं।

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ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

एकादशी का महत्‍च, ekadashi ka mahatmya

एकादशी के दिन भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना मंदिरों में की जाती है। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना व्यक्ति को संसार के मोह माया से मुक्त कर भगवान की शरण में ले जाने का काम करता हैं। भगवान श्री हरि के भक्त इस दिन सुबह-सुबह स्नान कर भगवान श्रीहरि की पूजा आराधना पीला वस्त्र, पीला फूल और पीला प्रसाद चढ़ाकर करते हैं। 

यह पूजा जीवन में सौभाग्य प्रदान करता है। धर्म के अनुसार इस दिन भगवान श्री हरि की पूजा के साथ माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से धन और समृद्धि की बढ़ोतरी होती हैं। एकादशी व्रत मन को शांति करने के साथ-साथ संकटों से मुक्ति दिलाता हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन की पूजा अर्चना सभी कार्यों को सिद्ध कर पापों का नाश करती हैं। 

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