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Janmashtami 2022 Mantra: भगवान श्री कृष्ण के इन मंत्रों का जाप करने से मिलेगा विशेष फल, जानिए इनका अर्थ

Updated Aug 19, 2022 | 10:18 IST

Shri Krishna Mantra In Sanskrit On Janmashtami 2022: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि विधान से की जाती है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते वक्त मंत्रों का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Janmashtami Shri Krishna Mantra meaning
मुख्य बातें
  • कृष्ण जन्माष्टमी के दिन 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण को स्नान कराकर, श्रृंगार व आरती करके भोग लगाया जाता है
  • कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है
  • यदि आप भगवान श्री कृष्ण का व्रत रख रहे हैं तो इन मंत्रों का जाप जरूर करें

Shri Krishna Mantra Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण को स्नान कराकर, श्रृंगार व आरती करके भोग लगाया जाता है और उसके बाद विधि विधान से पूजा की जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है। यदि आप भगवान श्री कृष्ण का व्रत रख रहे हैं तो इन मंत्रों का जाप जरूर करें। यह मंत्र घर में सकारात्मक वातावरण बनाएं रखेंगे। आइए जानते हैं श्री हरि के मंत्र व उनके अर्थ के बारे में।

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जानिए, मंत्र अर्थ सहित

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।।

अर्थ:- मैं वासुदेवानंदन जगद्गुरु श्री कृष्ण चंद्र को नमन करता हूं,
जिन्होंने कंस और चानूर को मार डाला, देवकी का आशीर्वाद।

वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।

अर्थ:- श्रीराधारानी वृंदावन की स्वामिनी हैं और श्री कृष्ण वृन्दावन के स्वामी,
मेरे जीवन का-शोक श्रीराधा-कृष्ण के सहायक में हो।

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अतः सत्यं यतो धर्मो मतो हीरार्जवं यतः।
ततो भवति गोविन्दो यतः कृष्णस्ततो जयः।।

अर्थ:- जहां सत्य, धर्म, लज्जा और सरलता का वास है
वहां श्रीकृष्ण निवास करते हैं और जहां श्रीकृष्ण निवास करते हैं,
वहां विजय का वास होता है।

पृथिवीं चान्तरिक्षं च दिवं च पुरुषोत्तमः।
विचेष्टयति भूतात्मा क्रीडन्निव जनार्दनः।।

अर्थ:-वे सर्वंतरीमी पुरुषोत्तम जनार्दन हैं, मानो वे खेल के माध्यम से पृथ्वी,
आकाश और स्वर्गीय दुनिया को प्रेरित कर रहे हैं।

पृथिवीं चान्तरिक्षं च दिवं च पुरुषोत्तमः।
विचेष्टयति भूतात्मा क्रीडन्निव जनार्दनः।।

अर्थ:- वे सर्वंतरीमी पुरुषोत्तम जनार्दन हैं, मानो वे खेल के माध्यम से पृथ्वी,
आकाश और स्वर्गीय दुनिया को प्रेरित कर रहे हैं।

कालस्य च हि मृत्योश्च जङ्गमस्थावरस्य च।
ईष्टे हि भगवानेकः सत्यमेतद् ब्रवीमि ते।।

अर्थ:- मैं सत्य कहता हूँ – वही काल, मृत्यु और समस्त चल-अचल जगत का स्वामी है
और अपनी माया से संसार को वश में रखता है।

जरूर करें मंत्रों का जाप


जन्माष्टमी में भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा पाने के लिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान आपको इन मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त इन मंत्रों का जाप करता है, श्री कृष्ण उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
 

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