- गणपति जी को हमेशा मुंह ढककर घर लाएं
- गणपति प्रतिमा स्थापना हमेशा आसान पर करें
- रात के समय गणपति जी के पास ही शयन करें
भगवान गणपति प्रथम पूजनीय हैं और उनकी पूजा के बिना कोई पूजा स्वीकार नहीं होती। इतना ही नहीं किसी कार्य की सफलता के लिए सर्वप्रथम गणपतिजी की ही पूजा की जाती है। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में गणेश चतुर्थी की पूजा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणपति का जन्म हुआ था और इस दिन से दस दिन तक उनके जन्मोत्सव को मनाया जाता है। यदि आप घर में गणपति जी की स्थापना कर रहे तो पूजा की पूरी विधि और पूजन सामग्री के बारे में विस्तार से जानें।
गणपति जी के बारे में जानें
गणपति जी भगवान शिव और देवी पार्वती के छोटे पुत्र हैं। गणपति जी विघ्नहर्ता माने गए हैं और साथ ही शुभकर्ता भी। भगवान गणेश के 108 अलग-अलग नाम है और वह बुद्धि और ज्ञान के भगवान और ज्ञान के देवता भी हैं। देश के लगभग हर राज्य में गणपति जी की पूजा विशेष रूप से होती है।
जानें, भगवान गणपति की पूजा की विशेष सामग्री लिस्ट (Ganesh Chaturthi Bappa Pooja samagri)
- भगवान गगणपति की मिट्टी की प्रतिमा
- अक्षत के साथ गीली हल्दी,केसर और चंदन के पेस्ट
- आम के पत्ते,दूर्वा
- जल और गंगाजल
- लाल कपड़े के दो टुकड़े
- मिट्टी का दीपक, बाती और अखंड दीपक ज्योत और घी
- अगरबत्ती, धूप, हवन सामग्री
- कपूर,सुपारी, पुष्प, फल-मेवा और मिठाई
- कच्ची हल्दी, चंदन की लकड़ी आदि।
ऐसे करें गणपति जी की पूजा (Ganesh Chaturthi Ganpati Pooja Vidhi)
भगवान गणेश की प्रतिमा गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुर्हूत पर घर लाएं और घर लाते समय उनका मुख ढका रखें। अब घर लाकर पूजा स्थान पर आसन देकर स्थापित करें और पूजा करते समय उनका मुख खोलें। अब गणपति जी के आगे मिट्टी के दीपक में घी डाल कर दीप प्रज्जवलित करें और धूप-दीप दिखाएं। इसके बाद लाल चंदन का तिलक लगाएं। फिर एक नारियल फोड़ें और गणेश उपनिषद पढ़कर गणेश को 108 प्रणाम करें। अब उनके समक्ष एक पान के पत्ते पर सुपारी और दूर्वा आर्पित करें। इसके बाद आम के पत्ते से गणपति जी पर गंगाजल का छिड़ाकव करें और सभी पर यह जल डालें।
इसके बाद प्रभु को पुष्प और माला अर्पित कर वस्त्र पहनाएं और फल-मिठाई का भोग लगाएं। अब भगवान की आरती करें आरती करने के बाद सभी लोगों को ऊं गं गणपतये नमः कम से कम 21 बार जाप करना चाहिए। अब प्रसाद वितरण करें और भगवान के सक्षम ध्यान रखें की अखंड ज्योत सदा जलती रहें। रात के समय गणपति जी के पास ही ही सोंए। गणपति जी को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए। प्रतिदिन ऐसे ही पूजा करें।