- भगवान परशुराम संग युद्ध में टूट गया था गणेशजी का एक दांत
- अपने टूटे हुए एक दांत से भगवान गणेश ने लिखी थी महाभारत
- भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को करना चाहिए गणेश जी एकदंत स्वरूप की पूजा
Ganesh Chaturthi 2022 Ekdant Katha: देशभर में गणेश चतुर्थी की धूमधाम देखने को मिल रही है। भक्त इसकी तैयारियों में जुट गए हैं। बुधवार 31 अगस्त 2022 को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। सिर्फ गणेश चतुर्थी ही नहीं बल्कि सभी पूजा पाठ में गणपति की पूजा सर्वप्रथम करने का विधान है। गणपति को गजानन, एकाक्षर, विघ्नहर्ता, लंबोदर, गणेशा और बप्पा जैसे कई नामों से जाना जाता है। भगवान गणेश के कई नामों में उनका एक नाम एकदंत भी है। पौराणिक कथा के अनुसार एकदंत स्वरूप गणेश जी को भगवान परशुराम के प्रहार से मिला। जानते हैं विस्तार से भगवान गणेश के एकदंत से जुड़ी रोचक कथा के बारे में।
भगवान गणेश के एकदंत से जुड़ी पौराणिक कथा (Ganesh Chaturthi 2022 Ekdant Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शिवजी के परम भक्त भगवान परशुराम उनसे मिलने के लिए कैलाश आए हुए थे। उस समय भगवान शिव ध्यानमग्न थे। ऐसे में गणेश जी ने परशुराम को शिवजी से मिलने से रोक दिया। लेकिन परशुराम ने कहा वे बिना मिले वापस नहीं लौटेंगे। गणेश जी उन्हें कई बार विनम्रता से टालते रहें। लेकिन जब भगवान परशुराम का धैर्य टूटा तो उन्होंने गणेश जी को युद्ध के लिए चुनौती दे दी। ऐसे में गणेश जी को परशुराम जी संग युद्ध लड़ना पड़ा। गणेश और परशुराम के बीच युद्ध हुआ।
भगवान गणेश अपनी शक्ति से परशुराम के हर प्रहार निष्फल करते रहें। अंत में क्रोध में आकर परशुराम ने गणेश ज पर शिवजी से ही प्राप्त परशु से वार कर दिया। तब गणेश जी ने पिता शिव के परशु का आदर रखा। लेकिन परशु के प्रहार से गणपति का एक दांत टूट गया और वह अत्यंत पीड़ा से कहार उठे। जब पुत्र की पीड़ा सुन माता पार्वती आई और गणेश जी की अवस्था देख वह परशुराम पर क्रोधित हो गईं। यह देखकर परशुराम को उनके भूल का एहसास हुआ तब परशुराम ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और उन्होंने भगवान गणेश को अपना समस्त तेज, बल, कौशल और ज्ञान आशीर्वाद के रूप में दे दिया।
इसी एकदंत से गणेशजी ने लिखी महाभारत
कालांतर में भगवान गणेश ने अपने टूटे हुए एक दांत को अपनी कमल बना ली और महर्षि देवव्यास से उच्चरित महाभारत ग्रंथ का लेखन किया। इन्हीं घटनाओं के बाद स उन्हें एकदंत कहा जाने लगा।
गणेश चतुर्थी पर इस दिन करें एकदंत स्वरूप की पूजा
कहा जात है कि भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की पूजा गणेश चतुर्थी के दौरान चौथे दिन यानी भाद्रपद शुक्ल पक्ष के सप्तमी को करना विशेष फलदायी होता है। गणेश जी की एकदंत कथा व्यक्ति को संघर्ष का सामना कर विजय प्राप्त करने की सीख देती है। इसके साथ ही गणेश जी टूटे हुए दांत से इस बात की सीख मिलती है कि कैसे टूटी हुई चीज का सदुपयोग करना चाहिए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)