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Ganga Dussehra: गंगा दशहरा पर इस विधि से करें पूजा मिलेगा मां गंगे का आशीर्वाद, जानें मुहूर्त, महत्व व कथा

Updated Jun 09, 2022 | 06:33 IST

Ganga Dussehra 2022 Puja Importance: गंगा दशहरा को मां गंगा के अवतरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। इस बार गंगा दशहरा गुरुवार 9 जून को है।

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गंगा दशहरा 2022
मुख्य बातें
  • शिवजी की जटाओं से पृथ्वी पर अवतरित हुईं मां गंगा
  • गंगा स्नान से होती है मोक्ष की प्राप्ति
  • 9 जून को है गंगा दशहरा

Ganga Dussehra 2022 Puja Vidhi Muhurat And Gatha: गंगा दशहरा का पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन होती है। इस बार गंगा दशहरा गुरुवार 9 जून 2022 को होगी। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा राजा भगीरथ के कठोर तपस्या करने के बाद स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। इसलिए गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने का महत्व और बढ़ जाता है। ऐसा करने के पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानते हैं गंगा दशहरा की पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और पौराणिक कथा के बारे में..

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गंगा दशहरा पूजा विधि

इस दिन गंगा नदी में स्नान करें। अगर गंगा स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे डालकर मां गंगा का ध्यान करते हुए स्नान करें। घर के मंदिर में दीप जलाकर और मां गंगा की पूजा-अर्चना कर आरती करें और 'ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः'  मंत्र का जाप करें।

गंगा दशहरा मुहूर्त

  • दशमी तिथि आरंभ - गुरुवार  09 जून सुबह 08:21  बजे से
  • दशमी तिथि समाप्त - शुक्रवार 10 जून सुबह 07:25  बजे
  • हस्त नक्षत्र- गुरुवार 9 जून सुबह 04:31 से सुबह 10:26 तक

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गंगा दशहरा की पौराणिक कथा

कपिल मुनि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों पर घोड़ा चोरी का झूठा आरोप लगाया और उन सबको भस्म होने का श्राप दे दिया था। राजा सगर के पुत्रों के मोक्ष के लिए उनके कुल के राजा भगीरथ ने ब्रह्माजी को अपने तप से प्रसन्न किया। ब्रह्माजी ने जब भगीरथ को वरदान मांगने को कहा, तो उहोंने मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कराने का वरदान मांगा। बह्माजी ने स्वर्ग में बहने वाली गंगा को अपने कमंडल से छोड़ा, जिससे मां गंगा तीव्र गति से भगवान शिव जटाओं में कैद हो गई। लेकिन अब समस्या यह थी कि शिवजी की जटाओं से गंगा को पृथ्वी पर कैसे लाया जाए।

इसके लिए ब्रह्माजी ने भगीरथ को शिवजी को प्रसन्न करने को कहा। भगीरथ ने अपनी तपस्या से शिवजी को प्रसन्न किया। शिवजी ने भगीरथ को वरदान मांगने को कहा तो, भगीरथ ने मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित करने को कहा। भगवान शिव भगीरथ की मनोकामना पूरी करने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद मां गंगा शिव की जटाओं से निकलकर पृथ्वी पर अवतरित हुईं। इसके बाद मां गंगा के स्पर्श से राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस घटना के बाद से ही मां गंगा पृथ्वी पर प्रवाहित होने लगीं।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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