

Ganpati Favorite Flowers in Hindi: पुष्प को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि शुभ कार्य या देवी-देवताओं के पूजन आदि में पुष्पों का विशेष महत्व है। दरअसल, हर भगवान के पसंद के अनुसार उन पर पुष्प अर्पित किए जाते हैं। आने वाले कुछ ही दिनों में गणेश चतुर्थी का जश्न मनाया जाएगा। ऐसे में भगवान गणेश के हर प्रिय चीजों के ऊपर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। भक्त इस दिन भोग में मोदक और लड्डू के साथ इनके पसंदीदा फूल को भी चढ़ाते हैं। भगवान को पारिजात के फूल बेहद पसंद हैं। आइए आज इस फूल के बारे में जानते हैं। साथ ही इसके महत्व को भी जानेंगे।
स्वर्ग से आया गणेश जी को प्रिय ये फूल
पुराणों के मुताबिक, पारिजात का फूल स्वर्ग से आया है। यह फूल हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। यह फूल सुगंधरहित के साथ दिखने में बेहद अलौकिक लगता है। यही कारण है कि भगवान गणेश को यह पुष्प अतिप्रिय हैं। गणेश चतुर्थी पूजन के दौरान दूर्वा के साथ पारिजात का फूल भी भगवान को चढ़ाया जाता है। इससे भगवान भगवान प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
पारिजात पुष्प की खासियत
हरिवंश पुराण में पारिजात पुष्प को कल्पवृक्ष का नाम दिया गया है। इसके अनुसार पारिजात की उत्पत्ति सागर मंथन के दौरान हुई थी। स्वर्ग लोक में सिर्फ उर्वशी अप्सरा को ही इस वृक्ष को स्पर्श करने का अधिकार था। अप्सराएं अपनी थकान इसे स्पर्श कर ही मिटाती थीं। मान्यता है कि आज भी इसकी छाया में बैठने से सारी थकावटें दूर हो जाती हैं। इसके अलावा बता दें कि सिर्फ पारिजात ही एक ऐसा फूल है, जो अगर जमीन पर गिर भी जाए तो उसे वापस पूजन में इस्तेमाल कर सकते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)