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Hal Shashthi Vrat Katha 2022: हल षष्ठी की व्रत कथा हिंदी में, जानें संतान को दीर्घायु करने वाली पूजा की कहानी

Updated Aug 17, 2022 | 10:27 IST

Hal Shashthi 2022 Vrat Katha in Hindi, Balram Jayanti 2022 Vrat Katha: हल षष्ठी का व्रत अच्छी संतान की प्राप्ति और उसकी लंबी उम्र के वरदान के लिए रखा जाता है। इस दिन बलराम जयंती भी मनाई जाती है। साल 2022 में हल षष्ठी का व्रत 17 अगस्त, दिन बुधवार को रखा जाएगा। यहां पढ़ें हल षष्ठी व्रत की कथा हिंदी में।

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Hal Shashthi vrat katha in hindi

Hal Shashthi (Balram Jayanti) 2022 Vrat Katha in Hindi: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि (Hal Shashthi vrat) को हल षष्ठी का पर्व आता है। इसे बलराम जयंती भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन बलराम जी का जन्म हुआ था। त्भी इस दिन को भक्त श्रीकृष्ण के बड़े भाई श्रीबलराम जी के जन्मोत्सव (Balram Jayanti vrat) के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन को हल छठ भी कहते हैं। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत करने और पूजा कर व्रत कथा का पाठ करने से संतान की प्राप्ति होती है और मौजूदा संतान को दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है। अगर आप भी ये व्रत करते हैं तो यहां इस व्रत की कथा (Hal Shashthi 2022 vrat katha) को हिंदी में पढ़ सकते हैं। 

Hal Shashthi Vrat Katha, Kahani in Hindi

बहुत समय पहले एक ग्वालिन थी। वह प्रसव पीड़ा में होने के बावजूद दूध-दही बेचने निकल गई। उसे लगा कि ऐसा न करने पर वह खराब हो जाएगा। घर से निकलने पर कुछ दूर आगे बढ़ने पर उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। तब उसने एक झरबेरी की ओट में बच्चे को जन्म दिया और बच्चे को वहीं छोड़कर दूध बेचने चली गई। संयोग से उस दिन हलषष्ठी थी। ग्वालिन ने गाय और भैंस के दूध को मिलाकर उसे बस भैंस का दूध बताकर बेच दिया। वहीं जहां उसका बच्चा था, उसके पास एक किसान खेत में हल जोत रहा था। अचानक किसान के बैलों ने बच्चे पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।

किसान ने यह देखा तो बैलों को वहीं छोड़कर भाग गया। जब ग्वालिन वापस आई तो बच्चे की दशा देख दुखी हो गई। उसने महसूस किया ये उसके कर्मों की सजा है। तो वह अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए गांव वापस गई और सभी को सच बताकर माफी मांगी। फिर जब ग्वालिन झरबेरी के पास पहुंची तो वह अपने पुत्र को वहां जीवित देख हैरान रह गई। इसके बाद उसने हमेशा सही राह पर चलने का प्रण किया।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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