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Lahsuniya Ratna: केतु के दुष्प्रभाव को रोकता है लहसुनिया रत्न, इसके फायदे जानकर रह जाएंगे हैरान

Updated Aug 17, 2022 | 09:23 IST

How to wear Lahsuniya Gemstone: कुंडली में बुरे ग्रह दशा के प्रभाव को कम करने के लिए व्यक्ति कई तरह के रत्न धारण करता है। ऐसे ही रत्न लहसुनिया है। इस रत्न को केतु के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए धारण किया जाता है। इसे धारण करने से पहले सही नियम की जानकारी होना बेहद जरूरी है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Lahsuniya Gemstone
मुख्य बातें
  • लहसुनिया रत्न केतु का रत्न होता है, यह केतु के दुष्प्रभाव को रोकता है
  • लहसुनिया रत्न जीवन में आने वाली हर रुकावट को रोकता है
  • यह रत्न पीले, काले सफेद और हरे रंग में मौजूद होता है और इन सभी रंगों का अपना अलग-अलग महत्व होता है

Lahsuniya Ratna Benefits: हिंदू धर्म में नवग्रहों और उनसे जुड़े रत्नों का विशेष महत्व है। रत्न शास्त्र के मुताबिक हर एक रत्न किसी न किसी ग्रह ग्रहों से संबंधित होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन रत्नों को ग्रहण करने से ग्रहों की बुरी दशा टल जाती है और ग्रहों को मजबूत भी किया जा सकता है। हर रत्न का प्रभाव अलग होता है। इन्हीं रत्नों में एक रत्न है लहसुनिया रत्न है। यहां रत्न केतु का रत्न होता है। यह केतु के दुष्प्रभाव को रोकता है। लहसुनिया रत्न जीवन में आने वाली हर रुकावट को रोकता है। यह रत्न पीले, काले सफेद और हरे रंग में मौजूद होता है और इन सभी रंगों का अपना अलग-अलग महत्व होता है। इस रत्न के कई नाम है, जैसे-वैदुर्य, विद्रालक्ष, लहसुनिया, कैटस आई आदि। इस रत्न को धारण करने से सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं और तरक्की का रास्ता खुलने लगता है। इस रत्न को धारण करने से पहले व्यक्ति को ज्योतिष की सलाह लेनी चाहिए। आइए जानते हैं इस रत्न के फायदे और इसे धारण करने का तरीका।

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लहसुनिया रत्न के फायदे

लहसुनिया केतु का ही रत्न है। यह केतु के दुष्प्रभाव को रोकता है। कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव होने पर ज्योतिष लहसुनिया रत्न धारण करने की सलाह देता है। रत्न शास्त्र के मुताबिक लहसुनिया रत्न केतु के बुरे प्रभाव को दूर करके कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी व्यक्ति को सुखद महसूस कराता है। इस रत्न से व्यक्ति मानसिक व आध्यात्मिक शांति प्राप्त करता है। इस रत्न को पहनने से व्यापार नौकरी व आर्थिक तंगी से जूझ रहे व्यक्ति की समस्याएं दूर हो जाती है। अगर व्यक्ति का मन शांत नहीं रहता है और वह दिन भर तनाव में रहता है तो उसे लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए।

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ऐसे करें धारण

रत्नशास्त्र के मुताबिक लहसुनिया रत्न को सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। इसके वजन के मुताबिक ही इसे पहनना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति का वजन 55 किलो का है तो लहसुनिया रत्न सवा 5 रत्ती व सवा 7 रत्ती का धारण करना चाहिए। लहसुनिया रत्न को धारण करने के लिए इसे कच्चे दूध व गंगाजल से धोकर इस मंत्र- 'ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः' के उच्चारण के साथ अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
 

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