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Janmashtami Poem: कान्हा की भक्ति में सराबोर होने के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पढ़िए कान्हा पर रचित कविताएं

Updated Aug 30, 2021 | 06:49 IST

janmashtami ki kavita : भगवान कष्ण की जन्माष्टमी के मौके पर आप कई तरीकों से अपनों को बधाई दे सकते हैं और एक तरीका भगवान कृष्ण पर रचित कविताओं का भी है ।

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तस्वीर साभार:&nbspTimes Now
भगवान कृष्ण की कविताएं
मुख्य बातें
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस बार 30 अगस्त को मनाया जाएगा
  • यह व्रत और उत्सव भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है
  • आप इस दिन लोगों को कविताओँ के जरिए भी बधाई दे सकते हैं

नई दिल्ली: इस वर्ष यानी 2021 में भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी 30 अगस्त को मनाई जा रही है। भगवान  कृष्ण के जन्म से जुड़ा यह त्यौहार देशभर में एक अद्भुत उत्सव का माहौल देता है। भगवान कृष्ण से जुड़े भजन और आरती तो लोकप्रिय तो है ही बल्कि उनपर कई शास्त्र, ग्रंथों के साथ कई कवियों ने भी उन्हें कविताओं में उनकी लीलाओं को पिराया है। 

Janamashtami Poem 2021

भगवान कृष्ण की कविता

1. देवकी ने जन्म दिया
यशोदा मैया ने पाला ,रे गोपाला
कारागृह में जन्म हुआ
वसुदेव का वो लाला ,रे गोपाला

लीला करता नित्य नई वो
यशोदा मैया का लाला ,रे गोपाला
माटी खाये ब्राम्हांड दिखाये
नटखट बड़ा है नंदलाला ,रे गोपाला

माखन चुराता ग्वाल बाल संग
वंशी बजाने वाला, रे गोपाला
धैनु चराता वन वन जाता
मुरली बजाने वाला ,ये गोपाला

कृष्ण कन्हैया रास रचैया,
गोपियों के मन को हरने बाला,रे गोपाला
गोपियो के वस्त्र चुराता सबक सिखाता,
ऐसा है वो ब्रजवाला,रे गोपाला

janmashtami ki kavita
2.फिर कोई कृष्ण सा ग्वाला हो
फिर मीरा फिर प्याला हो

फिर चिड़िया कोई खेत चुगे
फिर नानक रखवाला हो

फिर सधे पांव कोई घर छोड़ें
फिर रस्ता गौतम वाला हो

फिर मरियम की कोख भरे
फिर सूली चढ़ने वाला हो

हम घर छोड़ें या फूंक भी दें
जब साथ कबीरा वाला हो

(राजेश चड्ढा)

3.रात अंधियारी कारी जन्मे जब कृष्ण मुरारी
खुल गयीं तब बेड़ियाँ सारी जब जन्म लिए बनवारी

धन्य हुए वसुदेव देवकी खुशियां जीवन में पधारी
कंस के अंत की तब तो हो गयी पूरी तैयारी

खुल गए सब ताले झट से सो गए दरबान भी सारे
कान्हा को लेकर फिर वसुदेव गोकुल को पधारे

छायी घन घोर घटायें आफत सी बरसती जाएं
यमुना का जल भी देखो हर पल बढ़ता ही जाए

वसुदेव सब देख रहे थे फिर भी हिम्मत न हारे
कृष्णा को लेकर वो फिर झट से बढ़ गए थे आगे

आगे वसुदेव जी चलते कान्हा को सिर पे थामे
पीछे थे शेष नाग जी वो भी कान्हा को ढांके

गोकुल में जब वो आये सबको सोते हुए पाए
यशोदा की उठा के बेटी कृष्णा को वहाँ लिटाये

वापस आ गए फिर मथुरा हाथों में बेड़ियाँ आई
दरबान जागे फिर सारे सूचना कंस को पहुंचाई

जैसे वो मारने आया देवी ने रच दी माया
गोकुल वो पहुँच चुका है तुझको जो मारने आया

गोकुल में फैली खुशियाँ सब ने फिर जश्न मचाया
जग का उद्धार करने कृष्णा इस जग में आया

प्रभु के दर्शन करने को आये फिर नर और नारी
सबका है अंत अब आया जितने हैं अत्याचारी

रात अंधियारी कारी जन्मे जब कृष्ण मुरारी
खुल गयीं तब बेड़ियाँ सारी जब जन्म लिए बनवारी

4.जन्मे है कृष्ण कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई
बाजे बधाई देखो बाजे बधाई
बाजे बधाई देखो बाजे बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई

यमुना भी धन्य हुई
छूके चरण को
लेके वासुदेव चले
प्यारे ललन को
वो दिए कान्हा को ब्रज पहुंचाए
गोकुल में देखो बाजे बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई

धन्य हुई ये ब्रजभूमि सारी
त्रिलोकी नाथ जन्मे कृष्णमुरारी
ओ सारी नगरी है आज हरषाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई

अन्न धन लुटावे बाबा
पायल और छल्ला
लड्डूवा बटें और पेड़ा
बर्फी रसगुल्ला
मैया तो फूली ना समाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई

दाऊ लुटावे सोना
चांदी और जेवर
छाया आनंद आज
खुशियां है घर घर
वो देख देख हसते है कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई

जन्मे है कृष्ण कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई
बाजे बधाई देखो बाजे बधाई
बाजे बधाई देखो बाजे बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई
गोकुल में देखो बाजे बधाई

5.हर गली हर मुंडेर
हर छप्पर हर नुक्कड़
पर आज शोर है
माखन चोर नंद किशोर का
जन्मोत्सव है
जय जय कारा का लगा है नारा
लाडला कन्हैया बड़ा है प्यारा
हर चैनल ‘लाइव’ दिखाता है
घर बैठे
मथुरा काशी दिल्ली-मुंबई
की सैर कराता है
इस्कान से लेकर
बिड़ला मंदिर तक की कथा
सुनाता है दिखाता है
भइया कलयुग है
कितनों का व्यापार टिका
कितनों को काम मिला है
सजी मिठाइयों की दुकानें
चमचम करते रसगुल्ले
पेड़े कलाकंद बालूशाही
सबसे प्यारी रसमलाई
कितनों ने तो व्रत रखा है
चलो एक दिन नहीं खायेंगे
प्रभु स्तुति में रम जायेंगे
अपना-अपना सोचना है
बोना है और काटना है
इसी बहाने
सभी रमे
कृष्ण भक्ति में लगे हैं
जय कन्हैयालाल की
गोविंद बोलो
अरे गोपाल बोलो
मटकी फोड़ नंद किशोर का
मचता हर तरफ उद्घोष है
लोगों में तो जोश है
हर गली
हर छप्पर में
आज खुशियां हैं
कान्हा गोपाल की
जय कन्हैयालाल की

(लालित्य ललित)

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