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Shri Kishan Aarti Lyrics: जन्माष्टमी के दिन जरूर पढ़ें ये आरती, मिलेगा भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद

Updated Aug 30, 2021 | 14:38 IST

Shree Krishna Janmashtami Aarti: जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान कृष्ण की आरती करना पूजा के बाद बेहद शुभ माना जाता है।

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भगवान कृष्ण की आरती
मुख्य बातें
  • जन्माष्टमी व्रत भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित व्रत और उत्सव है
  • जन्माष्टमी 30 अगस्त सोमवार को इस साल मनाई जाएगी
  • जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है

Lord Shri Kishan Aarti Lyrics:  भादो महीने में मनाया जाने वाला जन्माष्टमी पर्व भी देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं।

जन्माष्टमी व्रत विघ्न बाधाओं को दूर करने वाला व्रत माना जाता हैं। इस दिन लोग घर में लड्डू गोपाल यानी भगवान कृष्ण को भोग लगाने के लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाते है। रात के 12 बजे भगावन कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के बाद ही भक्त अन्न जल ग्रहण करते हैं।

विष्णु पुराण के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत रोग रहित जीवन देने वाला व्रत माना जाता हैं। यदि आप जन्माष्टमी का व्रत रखते है, तो आप यहां भगवान श्री कृष्ण की स्पेशल आरती देख कर पढ़ सकते है।

श्री कृष्ण की स्पेशल आरती

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
    भ्रमर सी अलक,
     कस्तूरी तिलक,
      चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
         बजे मुरचंग,
         मधुर मिरदंग,
          ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
    बसी शिव सीस,
      जटा के बीच,
      हरै अघ कीच,
  चरन छवि श्रीबनवारी की,
  श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
      हंसत मृदु मंद,
       चांदनी चंद,
     कटत भव फंद,
   टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की॥

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