इस वर्ष 21 मई को बड़ा मंगल मनाया जा रहा है। यह दिन हनुमान जी की पूजा का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस बार 21 मई के अलावा 28 मई और 4 व 11 जून को भी बड़ा मंगल मनाया जाएगा। इस मौके पर हनुमान जी के मंदिरों की सजावट देखने लायक होती है। इस दिन हनुमान जी की मूर्ति का फूलों से शृंगार किया जाता है। भक्तों की श्रद्धा को देखते हुए कई मंदिरों में भक्तों को हनुमान जी के शृंगार कराने का मौका भी दिया जाता है।
इस दिन अगर कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी की अराधना करे तो उसे काफी लाभ पहुंचता है। बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी के दर्शन, पूजन व चोला चढ़ाने से काफी लाभ मिलता है। मान्यता है कि इस दिन किये गए खास उपाय व्यक्ति को विशेष फल प्रदान करते हैं। इस साल जेष्ठ माह का बड़ा मंगल काफी शुभदायी है। इस दिन चन्द्रमा धनु राशि में रहेगा, जो मंगल की मित्र राशि है। सिद्ध योग होने से हर कार्य में सफलता मिलेगी। बड़ा मंगलवार के दिन हनुमान जी को चोला और सिंदूर चढ़ाने से वह प्रसन्न होकर भक्तों के संकट दूर करते हैं। आइये अब जानते हैं यह चोला कैसे चढ़ाया जाना चाहिये....
कैसे चढ़ाएं चोला
- चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेल का उपयोग करें।
- चोला चढ़ाते समय एक दीपक हनुमानजी के सामने जलाकर रखें। दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें।
- हनुमान की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाने जा रहे हैं तो पहले उनकी प्रतिमा को जल से स्नान कराएं।
- सभी पूजा सामग्री अर्पण करें।
- इसके बाद मंत्र का उच्चारण करते हुए चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या सीधे प्रतिमा पर हल्का सा देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें।
- चोले में चमेली के तेल में सिन्दूर मिलाकर प्रतिमा पर लेपन कर अच्छी तरह मलकर, रगड़कर चांदी या सोने का वर्क चढ़ाते हैं।
- चोला चढ़ाने के दिन सात्विक जीवन, मानसिक एवं शारीरिक ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।
- चोला कभी भी एक या दो नहीं चढ़ाया जाता।
- चोला चढ़ाने के पहले संकल्प करना चाहिए। फिर 5, 11, 21, 51 या फिर 101 चोला (लगातार) चढ़ाना चाहिए।
- ऐसा कहा जाता है कि 11 या 21 चोला चढ़ाने से हनुमान जी सभी मनोरथों को सिद्ध करते हैं।
- चोला चढ़ाने के दिन बेहतर होगा कि उस मंदिर का सिंदूर तिलक आप ही बनाएं।
क्या करें हनुमानजी के उतरे हुए चोले कर
हनुमानजी के उतरे हुए चोले को चांदी की डिब्बे में भरकर रखें। इस डब्बे को आप अपने घर, दुकान या लॉकर कहीं भी रख सकते हैं, लेकिन हर महीने की पूर्णिमा पर इसे निकालकर हनुमानजी के सामने रखकर धूप-दीप दिखाना जरूरी होता है।
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