- स्वार्थी व्यक्ति को अपने स्वार्थ के सिवा कुछ नहीं दिखता
- ईर्ष्या करने वाले व्यक्ति को दूसरे की प्रगति में होती है जलन
- काम व क्रोध के नशे में चूर व्यक्ति हमेशा पहुंचाता है नुकसान
Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य को आधुनिक युग में भी सबसे महान शिक्षकों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपनी नीति शास्त्र में जिन नीतियों व उपायों के बारे में बताया है उससे आज भी लोग प्रेरणा लेकर जीवन को सफल बनाने का प्रयास करते हैं। चाणक्य नीति में कई ऐसी बातें बताई गई हैं, जिन्हें स्वीकार्य करने वाला व्यक्ति निराशा या दुख से बाहर निकल आता है। आचार्य ने जीवन उन गंभीर विषयों के बारे में अहम जानकारी देते हुए कहा कि मनुष्य अपने दुश्मन से हमेशा दूर रहने की कोशिश करता है, लेकिन हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग भी रहते हैं, जो दुश्मन से भी खतरनाक होते हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर इनसे दूर रहना जरूरी।
नैव पश्यति जन्मान्धः कामान्धो नैव पश्यति ।
मदोन्मत्ता न पश्यन्ति अर्थी दोषं न पश्यति ।।
स्वार्थी व्यक्ति से दूरी
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह से जन्म से अंधा व्यक्ति कुछ नहीं देख सकता। उसी तरह स्वार्थी व्यक्ति को भी अपने सिवा और कुछ नहीं दिखता है। ऐसे लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी के साथ कभी भी गलत कर सकते हैं। ये लोग दोस्ती भी अपने स्वार्थ के कारण ही करते हैं और दूसरों को फंसा देते हैं। इसलिए इनसे दूर रहने में ही भलाई है। ऐसा व्यक्ति आपको और आपके साथ रहने वालों पर सिर्फ बुरा प्रभाव डालते हैं।
ईर्ष्या करने वालों से दूरी
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट या लालची व्यक्ति दूसरों की उन्नति प्रगति देखकर हमेशा जलता है। ऐसे लोग स्वयं उन्नति नहीं कर सकते हैं तो दूसरों की निंदा करने लगते हैं। ऐसे लोगों का मकसद सिर्फ दूसरों को नुकसान पहुंचाना होता है। इस कार्य में ही इन्हें खुशी मिलती है, इसलिए ऐसे व्यक्ति से हमेशा दूर रहना चाहिए।
काम व क्रोध नशे में चूर
आचार्य कहते हैं कि जो व्यक्ति काम व क्रोध नशे में चूर रहता है, उससे हमेशा दूर रहना चाहिए। क्योंकि ऐसे व्यक्ति की संगत का असर दूसरों पर भी पड़ता है। ऐसे लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए इनसे दूर ही रहें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)