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जानिए लोहड़ी शब्द कहां से आया और इस दिन आग क्यों जलाई जाती है?

Updated Jan 13, 2021 | 18:20 IST

Lohri 2021: भारत में मकर संक्रांति से 1 दिन पहले देश भर में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे कई मान्‍यता है। 13 जनवरी को लोहड़ी क्‍यों मनाई जाती है, जानें इस दिन आग आखिर क्यों जलाते हैं।

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लोहड़ी का पर्व हर साल 13 को मनाया जाता है।

Happy Lohri 2021: लोहड़ी उत्तर भारत का मशहूर पर्व है। देशभर में यह 13 जनवरी को मनाया जा रहा है। यह त्‍योहार मकर संक्रांति से एक द‍िन पहले आता है। पंजाब का यह पारंपरिक त्‍योहार उनके लिए विशेष महत्‍व रखता है। इस त्‍योहार की तैयारियां काफी दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। 

पंजाब का यह पारंपरिक त्‍योहार लोहड़ी फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा एक विशेष त्योहार है। पंजाब में यह त्योहार नए साल की शुरुआत में फसलों की कटाई के उपलक्ष्य के तौर पर मनाई जाती है। लोहड़ी के त्योहार के अवसर पर जगह-जगह अलाव जलाकर उसके आसपास भांगड़ा-गिद्धा क‍िया जाता है। 

इस दिन लोग लोहड़ी जलाते हैं और उसमें रेवड़ी और मूंगफली आदि अग्नि देव को अर्पित करते हैं। यह पुरानी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है।

आग का घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाते हुए रेवड़ी, मूंगफली और लावा खाते हैं। लोहड़ी का त्योहार शरद ऋतु के अंत में मनाया जाता है और ऐसी मान्‍यता है कि लोहड़ी के दिन साल की सबसे लंबी अंतिम रात होती है और अगले दिन से धीरे-धीरे दिन बढ़ने लगता है।

लोहड़ी शब्द की उत्पत्ति?

लोहड़ी शब्द के उत्पत्ति को लेकर लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं। कई लोग मानते हैं कि लोहड़ी शब्द ‘लोई (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था, लेकिन कई लोग इसे तिलोड़ी से उत्पन्न हुआ मानते हैं, जो बाद में लोहड़ी हो गया। जबकि कुछ लोगों का यह मानना है कि शब्द लोह' से उत्पन्न हुआ था, जो चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण है। दरअसल लोह यानी लोहा जिसे अंग्रेजी में आयरन भी कहते हैं।

आग का क्या है महत्व?

लोहड़ी के दिन आग जलाने को लेकर माना जाता है कि यह आग्नि राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है। लोहड़ी मनाने के पीछे मान्‍यता भारत में पूरे साल कई छोटे-बड़े त्‍योहार मनाए जाते हैं। इनमें से एक लोहड़ी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बड़े ही हर्ष और उल्‍लास के साथ मनाया जाता है। एक कथा के मुताबिक, दक्ष प्रजापति की बेटी सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह आग जलाई जाती है। 

दुल्‍ला भट्टी की याद में मनाई जाती है लोहड़ी 

लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता है। दुल्ला भट्टी मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था, जिसके पुरखे भट्टी राजपूत माने जाते हैं। उस समय लड़कियों को गुलामी के लिए अमीर लोगों को बेच जाता था। दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न केवल छुड़ाया बल्कि उनकी शादी की सारी व्यवस्था भी करवाई। 

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