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पतंग उड़ाने से खिचड़ी और गुड़ खाने तक, क्या है मकर संक्रांति से जुड़ी परंपराए का महत्व?

Updated Jan 13, 2021 | 16:52 IST

मकर संक्रांति को लेकर भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इस दिन दान पुण्य करने की विशेष परंपरा हिंदु धर्म में मौजूद है। मान्यता है कि इस खिचड़ी बनाने औऱ खाने से आरोग्य में वृद्धि होती।

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मकर संक्रांति की परंपराओं का महत्व
मुख्य बातें
  • मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने की है विशेष परंपरा।
  • मकर संक्रांति पर दान पुण्य करने से होती सुख समृद्धि की प्राप्ति।
  • इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान राम से है संबंधित।

14 जनवरी गुरुवार को मकर संक्रांति का पावन पर्व है। यह पर्व भगवान सूर्य और शनि देव महाराज को समर्पित है। इस दिन लोग चना, मूंगफली, तिल, गुड़ आदि चीजों से बनी सामग्री भगवान सूर्यदेव और शनिदेव महाराज को चढ़ाते हैं और इन चीजों का लुत्फ उठाते हैं। विभिन्न राज्यों में इस पर्व को लेकर अलग अलग मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, जो इस त्योहार की शान बढ़ाती हैं।

वास्तव में यह परंपराएं ना केवल धार्मिक महत्व को ही अभिव्यक्त करती हैं बल्कि इस पर्व का संबंध स्वस्थ्य और सुखी जीवन से भी है। ऐसे में आइए जानते हैं मकर संक्रांति को लेकर कुछ विशेष परंपराओं के बारे में।

दान की परंपरा:
मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, मूंगफली के बने लड्डू के दान की परंपरा है। घरों में तिल के पकवान बनाए जाते हैं और इसे भगवान सूर्य देव को चढ़ाया जाता है। इसके बाद इसे पंडित को दान दिया जाता है। साथ ही इस दिन तिल, गुड़, ज्वार, बाजरा आदि से बने पकवान को लोग अपने विवाहित बेटियों के घर लेकर जाते हैं। यह परंपरा हिंदु धर्म मे काफी प्रचलित है।

पतंग उड़ाने की परंपरा और महत्व:
मकर संक्रांति के अवसर पर देश के कई राज्यों में पतंग ड़ाने की परंपरा है। इस परंपरा की वजह से मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन बाजार रंग बिरंगे पतंगो सो सजे हुए नजर आते हैं। इस दिन लोग पतंग उड़ाने का लुत्फ उठाते हैं। 

मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने को लेकर कई धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं हिंदु धर्म में मौजूद हैं। धार्मिक महत्व की बात करें तो इसका संबंध भगवान राम से बताया जाता है। इसके अनुसार भगवान राम ने मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की शुरुआत की थी।

तमिल की तन्दनानरामायण के मुताबिक इस दिन भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी और वह पतंग उड़कर इंद्रलोक में चली गई थी। तब से इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा हिंदु धर्म में मौजूद है। वहीं इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है। इसके अनुसार इस दिन पतंग उड़ाना स्वास्थ के लिए बेहद लाभदायक होता है।

खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा व महत्व:
मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी बनाने और खाने की खास परंपरा है। इसी कारण इस पर्व को कई जगहों पर खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन मान्यता है खिचड़ी खाने से ग्रहों की मजबूती मिलती है। कई जगहो पर खिचड़ी का भगवान को भोग लगाया जाता है और इसे प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है।

मान्यता है कि खिचड़ी में पड़ने वाली सामग्री का संबंध ग्रहों से होता है। इसके अनुसार चावल को चंद्रमा का प्रतीक और उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना जाता है। वहीं हल्दी का संबंध गुरु ग्रह और खिचड़ी में पड़ने वाली हरी सब्जियों का संबंध बुध से होता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से आरोग्य में वृद्धि होती है।

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