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Nidhivan Facts: रहस्यमयी है वृंदावन की ये जगह, माना जाता है आज भी श्रीकृष्ण करते हैं गोपियों संग रास लीला

प्रदीप कुमार तिवारी | सीनियर रिपोर्टर
Updated Aug 12, 2020 | 19:16 IST

Places linked to Krishna in Vrindavan, Nidhivan : वृंदावन में एक जगह भगवान श्रीकृष्ण के भक्‍तों के लिए बहुत खास है। इस जगह का नाम निधिवन है जहां भगवान श्रीकृष्ण राधा के साथ रास रचाते थे।

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Nidhivan in Vrindavan, न‍िधि‍वन
मुख्य बातें
  • पूरे निधिवन में तुलसी और मेंहदी के पवित्र पेड़ हैं
  • रास मंडल में रास रचाते हैं श्रीकृष्ण
  • रंगमहल में राधा कृष्ण के लिए सेज भी सजाई जाती है

दुनिया में कुछ रहस्य ऐसे हैं, जिनके बारे में कई अलग-अलग कहानियां मिलती हैं। ऐसा ही एक रहस्य है वृंदावन में स्थित निधिवन से जुड़ा हुआ, जो श्रीकृष्ण और गोपियों की रासलीला के लिए प्रसिद्ध है। ब्रजभूमि में कई ऐसी जगह हैं, जो लोगों के बीच सदियों से आस्था का केंद्र रही है। वृन्दावन में श्रीकृष्ण की आज भी मुरली बजती है और राधारानी गोपियों संग नृत्य करती हैं। ये सुनकर आपको अटपटा जरूर लगेगा पर वृन्दावन धाम के चमत्कारी निधिवन में  ऐसे कई गहरे रहस्य छुपे हुए हैं जिनको समझ पाना हर किसी के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है।

मथुरा से 15 किलोमीटर दूर है निधिवन
उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा जिले से करीब 15 किलोमीटर दूर बसे यमुना जी के निकट वृंदावन धाम के निधिवन को राधा-कृष्ण के रास के लिए जाना जाता है। इस अद्भुत वन वाटिका को लोग निधिवन और मधुवन के नाम से जानते हैं। यह वन बड़ा ही अद्बभुत व रहस्यमयी है जिसके बारे में माना जाता है कि यहां आज भी हर रात राधा-कृष्ण गोपियों संग रास रचाने के लिए आते हैं।

रात होने से पहले ही सब निधिवन से चले जाते हैं
मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में गोपियों के साथ रासलीला की थी। पर निधिवन को लेकर ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण यहां रोज रात को गोपियों के साथ  रासलीला करते हैं। शरद पूर्णिमा की रात यहां प्रवेश पूरी तरह से वर्जित रहता है। दिन में श्रद्धालुओं के आमे पर कोई रोक नहीं है पर शाम होते ही निधिवन खाली करवा लिया जाता है।

तुलसी के पेड़ बनते है गोपियां
निधिवन में तुलसी के पेड़ हैं। यहां तुलसी का हर पौधा जोड़े में है। ऐसी मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण और राधा रासलीला करते हैं तो ये तुलसी के पौधे गोपियां बन जाती हैं और प्रात: होने पर तुलसी के पौधे में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां लगे वृक्षों की शाखाएं ऊपर की ओर नहीं बल्कि नीचे की ओर बढ़ती हैं। ये पेड़ ऐसे फैले हैं कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडे के सहारे रोका गया है।

वन के आसपास बने मकानों में नहीं हैं खिड़कियां
वन के समीप बने घरों में उस तरफ खिड़कियां नहीं बनाते। स्थानीय लोगों का मानना है कि शाम के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया वे अंधे हो गए या फिर पागल हो गए। शाम सात बजे मंदिर की आरती का घंटा बजते ही लोग खिड़कियां बंद कर लेते हैं। कुछ लोगों ने वन की तरफ बनी खिड़कियों को ईंटों से बंद करवा दिया है। जिससे कोई चाहकर भी इस वन की तरफ नहीं देख सके।

निधिवन के रंगमहल में आते हैं राधा कृष्ण
निधिवन में ऐसी मान्यता है कि यहां रोज रात को राधा-कृष्ण आते हैं। रंग महल में राधा और श्रीकृष्ण के चंदन के पलंग को शाम सात बजे से पहले सजा दिया जाता है। पलंग के पास में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान, दातुन, पान रख दिया जाता है। सुबह बिस्तर अस्त-व्यस्त मिलता हैं और लोटा खाली मिलता है। वहां पर उपयोग की हुई दातुन भी दिखाई देती है। पान भी खाया हुआ मिलता है। माना जाता है कि इन सभी चीजों का उपयोग श्रीकृष्ण और राधा रानी करते हैं।

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