लाइव टीवी

आज है श्री गोगा नवमी, नाग देव की पूजा विधि और महत्व भी जानें

Gugga Navami, गुग्गा नवमी, गोगा नवमी
Updated Aug 13, 2020 | 07:32 IST

Gugga Navami 2020 : वाल्मिकी समाज का मुख्य पर्व श्री गोगा नवमी आज यानी गुरुवार 13 अगस्त को मनाई जा रही है। भाद्रपाद कृष्ण पक्ष की नवमी को होने वाली गोगा देव की पूजा की विधि और महत्व क्या हैं, आइए जानें।

Loading ...
Gugga Navami, गुग्गा नवमी, गोगा नवमीGugga Navami, गुग्गा नवमी, गोगा नवमी
Gugga Navami, गुग्गा नवमी, गोगा नवमी
मुख्य बातें
  • गोगा देव का पूजा भाद्रपाद कृष्ण पक्ष की नवमी पर होती है
  • गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है
  • गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है

लोकमान्यता के अनुसार गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहिर वीर, राजा मण्डलिक आदि नामों से भी पुकारते हैं। गोगा देव, गुरु गोरखनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक माने गए हैं। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को प्रथम माना गया है। गोगा नवमी का त्योहार कई राज्यों में मनाया जाता है। यह त्योहार मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान का मुख्य त्योहार माना गया है। इसे गुग्गा नवमी के रूप में जाना जाता है।

इस दिन गोगा देव का जन्म हुआ था इसलिए इसे बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है तथा यह पूजा-पाठ 9 दिनों तक यानी नवमी तिथि पर आ कर गोगा देव की पूजा के साथ समाप्त होती है।

लोकमान्यता के अनुसार गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहिर वीर, राजा मण्डलिक आदि नामों से भी पुकारते हैं। गोगा देव, गुरु गोरखनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक माने गए हैं। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को प्रथम माना गया है। गोगा नवमी का त्योहार कई राज्यों में मनाया जाता है। यह त्योहार मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान का मुख्य त्योहार माना गया है।

इसे गुग्गा नवमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन गोगा देव का जन्म हुआ था इसलिए इसे बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है तथा यह पूजा-पाठ 9 दिनों तक यानी नवमी तिथि पर आ कर गोगा देव की पूजा के साथ समाप्त होती है।

गोगा देव के बारे में जानें

गोगा देव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। योगी गोरक्षनाथ ने ही इनकी माता बाछल को प्रसाद रूप में अभिमंत्रित गुग्गल दिया था और इसके अद्भुत प्रभाव से ही महारानी बाछल ने गोगा देव (जाहरवीर) को जन्म दिया था।

जानें, गोगा देव की पूजा का महत्व और व‍िध‍ि

इस दिन लोग घरों में ईष्टदेव यानी गोगा देव की वेदी बनाते हैं और अखंड ज्योति जला कर रात्रि जागरण कराते हैं। गोगा देव की पूजा करने के बाद उनके शौर्य गाथा से जुड़ी गाथाएं सुनते हैं। इस दिन कई स्थानों पर मेला और शोभायात्रा भी  निकलती है। ये शोभायात्रा कई शहरों तक रात तक निकलती है। इस दिन घरों में जाहरवीर पूजा और हवन करके उन्हें खीर, चूरमा, गुलगुले तथा मालपुआ का भोग लगाते हैं।

गोगा नवमी के दिन ऐसे करें पूजन

वीर गोगा जी की मिट्टी की बनाई मूर्ति की पूजा इस दिन की जाती है। गोगा देव की प्रतिमा पर रोली, चावल से तिलक लगाकर प्रसाद का भोग लगाया जाता है। साथ ही इस दिन गोगा जी के घोड़े की पूजा भी होती है और उसे दाल का भोग लगता है। इस दिन एक और मान्यता है, वह यह कि बहने रक्षाबंधन पर अपने भाइयों को जो रक्षासूत्र  बांधती हैं, वह गोगा नवमी के दिन ही  खोलकर गोगा देव को चढ़ाई जाती है।  रात्रि जागरण के समय गोगा जी का प्रिय भजन गाया जाता है।

ये है गोगा जी का प्रिय भजन

भादवे में गोगा नवमी आगी रे, भगता में मस्ती सी छागी रे,

गोगा पीर दिल के अंदर, थारी मैडी पे मैं आया,

मुझ दुखिया को तू अपना ले, ओ नीला घोड़े आळे।

मेरे दिल में बस गया है गोगाजी घोड़ेवाला,

वो बाछला मां का लाला वो है, नीला घोड़े वाला,

दुखियों का सहारा गोगा पीर।

मान्यता है कि वीर गोगा देव की पूजा से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल