लाइव टीवी

Chanakya Niti: चाणक्य के इन 4 श्लोकों में छिपा है सफलता का रहस्‍य, जो समझा वो हुआ सफल

Updated Aug 30, 2022 | 06:30 IST

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने नीति शास्‍त्र में मनुष्य जीवन को सफल बनाने के कई उपाय बताये हैं। आचार्य ने श्‍लोकों के माध्‍यम से जीवन के कई ऐसे रहस्‍य को बताया है, जिस समझ कर अपनाने वाला सफलता के रास्‍ते पर निकल पड़ता है। नीति शास्‍9 के इन चार श्‍लोक में जीवन के कई रहस्‍य मिलते हैं।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
जीवन और सफलता के रहस्‍य बताते हैं ये चार श्‍लोक
मुख्य बातें
  • आचार्य चाणक्‍य ने श्‍लोकों के माध्‍यम से समझाया है जीवन का रहस्‍य
  • शास्त्रों के नियमों के अनुसार ज्ञान प्राप्‍त करने वाला होता है सफल
  • दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, धूर्त सेवक और सर्प हैं मृत्यु को गले लगाने समान

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य द्वारा रचित नीति शास्‍त्र मनुष्‍य जीवन का सार है। इसमें आचार्य ने अपने अनुभवों व ज्ञान को श्‍लोकों के माध्‍यम से बताया है। आचार्य कहते हैं कि मनुष्‍य के रूप में जीवन पाने वाला प्रत्‍येक व्‍यक्ति अपने जीवन को सफल बनाना चाहता है। हर मनुष्‍य कर कामना रहती है कि वह जीवन में ज्‍यादा से ज्‍यादा सुख-समृद्धि, धन और वैभव को हासिल कर सुखमय जीवन व्‍यतीत करे। इसके लिए जीवन भर प्रयास भी करते रहते हैं, लेकिन सफलता कुछ लोगों को ही मिल पाती है। जीवन में सफलता पाने का रहस्‍य नीति शास्‍त्र के इन 4 श्‍लोकों में छिपा है। ज्ञान की इन बातों को समझ कोई भी सफलता हासिल कर सकता है।  

अधीत्येदं यथाशास्त्रं नरो जानाति सत्तमः ।

धर्मोपदेशं विख्यातं कार्याऽकार्य शुभाऽशुभम् ।।

अर्थ- जो व्यक्ति शास्त्रों के नियमों का निरंतर अभ्यास करते हुए शिक्षा प्राप्त करता है, उस व्‍यक्ति को सही, गलत और शुभ अशुभ का पूरा ज्ञान होता है। ऐसे व्यक्ति के पास सर्वोत्तम ज्ञान होता है। यानि ऐसे लोग जीवन में आसानी से सफलता प्राप्त करते हैं।

Also Read:Chanakya Niti: इन लोगों से रहना चाहिए दूर, करेंगे मित्रता तो बदले में मिलेगा सिर्फ धोखा

प्दुष्टाभार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः ।

ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव नः संशयः ।।

अर्थ- इस श्लोक के माध्‍यम से आचार्य कहते हैं कि व्‍यक्ति को कभी भी दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, धूर्त सेवक और सर्प के साथ नहीं रहना चाहिए। ये ठीक वैसा ही है, जैसे मृत्यु को गले लगाना।

Also Read: Chanakya Niti: महिलाओं के अंदर है अगर ये चार अवगुण तो समझो बर्बादी निश्चित, बनाकर रखें इनसे दो कदम दूरी

आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान् रक्षेध्दनैरपि ।

नआत्मानं सततं रक्षेद्दारैरपि धनैरपि ।।

अर्थ- मनुष्य को भविष्‍य में मुसीबतों से बचने के लिए धन की बचत जरूर करना चाहिए। वहीं अगर पत्‍नी खतरे में है तो धन-सम्पदा त्यागकर उसकी सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन बात यदि आत्मा की सुरक्षा की आए तो उसे धन और पत्नी दोनों से पहले आत्‍मा की सुरक्षा करनी चाहिए।

यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः ।

न च विद्यागमऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ।।

अर्थ- श्लोक के माध्‍यम से आचार्य कहते हैं व्‍यक्ति को उस देश में नहीं रहना चाहिए जहां पर सम्मान, रोजगार के साधन और कोई मित्र न हो। साथ ही उस स्थान का भी त्याग करना चाहिए जहां पर ज्ञान न हो।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल