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Shiv Chalisa: सोमवार के दिन करें शिव चालीसा का पाठ, मिलेगी शिवजी की कृपा

Updated Sep 05, 2022 | 06:36 IST

Shiv Chalisa Path: भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने से भक्तों के बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि सोमवार के दिन शिवजी की पूजा में यदि शिव चालीसा का पाठ किया जाए तो इससे कुंडली के सभी दोष भी दूर हो जाते हैं।

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सोमवार की पूजा में जरूर करें शिव चालीसा का पाठ
मुख्य बातें
  • शिव चालीसा का पाठ करने से कुंडली में दूर होते हैं कई दोष
  • 40 छंदों में बनी है शिव चालीसा
  • सोमवार के दिन पूजा में जरूर करें शिव चालीसा का पाठ

Shiv Chalisa Path On Monday: हिंदू धर्म इस सप्ताह का प्रत्येक वार किसी ने किसी देवी-देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसी तरह सोमवार का दिन भगवान शिवजी की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। सोमवार के दिन भगवान शिव की श्रद्धापूर्वक पूजा करने और शिव चालीसा का पाठ करने से कुंडली में स्थित कई दोष से भी मुक्ति मिलती है। भगवान शिव पर आधारित 40 छंदों में बनी शिव चालीसा काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यदि आप महादेव की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन पूजा में शिव चालीसा का पाठ जरूर करें।

शिव चालीसा पाठ (Shiv Chalisa Path)

॥दोहा॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

॥चौपाई॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥4

मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥8

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥12

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥16

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥20

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥24

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

      मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
       स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥28

धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥32

नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥36

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥ 40

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

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॥ दोहा ॥

नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥

मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।

स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥

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जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक शिव चालीसा का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है। साथ ही शिवजी की कृपा से उसके सारे दोष दूर हो जाते हैं। शिव चालीसा का पाठ करने के बाद शिवजी की आरती जरूर करनी चाहिए।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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