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Magh Purnima 2022 Date, Puja Muhurat: माघ मास 2022 की पूर्णिमा कब है? जानें मुहूर्त और पूजा व‍िध‍ि

Updated Feb 16, 2022 | 07:31 IST

Magh Purnima 2022 Date, Time, Puja Muhurat (माघी पूर्णिमा कब है 2022): माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिंदू शास्त्र में माघ माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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Magh Purnima 2022 date
मुख्य बातें
  • हिंदू धर्म में माघ मास की पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया गया है
  • माघी पूर्णिमा 16 फरवरी दिन बुधवार को है
  • इस दिन जलधारा में तिल प्रवाहित करने का विशेष महत्व बताया गया है

Magh Purnima 2022 Date, Time, Puja Muhurat in India: हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा का एक विशेष महत्व है। माघ माह में पड़ने वाले पूर्णिमा का भी हिंदू शास्त्र में एक अलग महत्व है। माना जाता है क‍ि माघ मास की पूर्ण‍िमा पर पूजा करने से श्रीहर‍ि की कृपा प्राप्‍त होती है। इस साल यह पूर्णिमा 16 फरवरी दिन बुधवार को पड़ रही है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन सभी  देवता पृथ्वी पर विचरण करने के लिए आते है और गंगा नदी में स्नान करते हैं। इसलिए इस दिन पवित्र नदियों स्नान किया जाता है। शास्त्र के अनुसार इस दिन नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि आप भी माघी पूर्णिमा का व्रत करते हैं आप इसकी डेट और पूजा विधि जान सकते हैं।

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माघी पूर्णिमा की डेट 2022 (Maghi Purnima Date 2022)

माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा कहा जाता है। इस साल माधी पूर्णिमा 16 फरवरी दिन बुधवार को पड़ रही है। आपको बता दें यह पूर्णिमा 16 तारीख सुबह 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर रात 10 बजकर 55 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

  • Maghi Purnima 2022 Date: 16 फरवरी, दिन बुधवार
  • Maghi Purnima 2022 Tithi Begins: सुबह 9 बजकर 42 मिनट से 
  • Maghi Purnima 2022 Tithi Ends: रात 10 बजकर 55 मिनट पर

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माघी पूर्णिमा 2022 पूजा विधि (Maghi Purnima 2022 Puja Vidhi)

  1. माघी पूर्णिमा के दिन आप प्रातः काल में उठकर घर की साफ-सफाई करके गंगा नदी या पवित्र नदियों में स्नान अगर संभव हो तो करें या फिर घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
  2. स्नान करने के तत्पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए सर्वप्रथम भगवान भास्कर को 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।
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  3. अब तिलांजलि दे। तिलांजलि देने के बाद सूर्य के तरफ अपना मुंह करके खड़े हो जाएं और जल में तिल डालकर डालकर तड़पन करें।
  4. तर्पण करने के बाद ठाकुर और नारायण जी की पूजा करें।
  5. भोग में चरणामृत, पान, रोली, मोली, कुमकुम, फूल, फल, पंचगव्य, सुपारी और दुर्वा आदि चीजें भगवान को अर्पित करें।
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  6. सबसे अंत में आरती करें।
  7. पूजा समाप्त होने के बाद गरीब और असहाय लोगों को दान दें।

डिस्क्लेमर:  प्रस्तुत लेखन सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। किसी भी जानकारी या मान्यता को अपनाने से पहले किसी संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। 

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