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Maha Shivratri 2022 Shiv Ji Ki Aarti: ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा- शिव जी की आरती के ह‍िंदी लिरिक्स

Updated Jul 14, 2022 | 09:10 IST

Mahashivratri 2022 Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi (ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा आरती): हर पूजा में आरती का विशेष महत्व होता है। शिव पूजन में भी भोलेनाथ की आरती गाई जाती है। यहां आप ओम जय शिव ओंकारा आरती के ह‍िंदी ल‍िर‍िक्‍स देख सकते हैं।

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भगवान शिव की आरती हिंदी में - देखें ओम जय शिव ओंकारा के ह‍िंदी ल‍िर‍िक्‍स
मुख्य बातें
  • इस साल 01 मार्च 2022 को मनाई जा रही है महाशिवरात्रि।
  • महाशिवरात्रि पर करें भोलनाथ की आरती।
  • पढ़ें भगवान शिव की आरती के ये लिरिक्स।

Mahashivratri 2022 Shiv Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi, Om Jai Shiv Omkara Swami Jai Shiv Omkara Aarti: भगवान शिव को कई नामों से पुकारा जाता है। उनकी महिमा का बखान उनकी आरती में भी किया गया है। भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन मां पार्वती और भोलेनाथ का विवाह हुआ था। भगवान शिव ने वैराग्य जीवन त्यागकर गृहस्थ जीवन अपनाया था। मान्यता है कि इस दिन विधिवत भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाया जाता है। स्कंद पुरांण में वर्णित एक कथा के अनुसार बिना आरती के भोलेनाथ की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। यहां पढ़िए भगवान शिव की आरती।

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भगवान शिव की आरती हिंदी में - देखें ओम जय शिव ओंकारा के ह‍िंदी ल‍िर‍िक्‍स

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मण्ड माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।

शिव मंत्र

ओम त्तपुरुषाय विदमहे, महादेवाय
धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।

आरती के बाद ऊपर दिए भगवान शिव के इस मंत्र का जाप कर पूजा को संपूर्ण करें।

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महाशिवरात्रि की पूजा व‍िध‍ि

महाशिवरात्रि के दिन सर्वप्रथम भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है, उनके अभिषेक में जल, दूध, दही, शहद, शक्कर, चीनी, गन्ने का रस और गंगाजल आदि चीजों को शामिल करें। जलाभिषेक करने के बाद बेलपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करें। अंत में भांग, धतूरा, गांजा और नारियल का भगवान शिव को भोग लगाएं। इस दिन रात्रि में शिव मंत्रों का जाप करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है और नकारात्कमक शक्तियों का नाश होता है। 
 

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