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Makar Sakranti 2021: भगवान राम की पतंग लेने इंद्रलोक गए थे बजरंग बली, ऐसे शुरू हुई पतंग उड़ाने की परंपरा

Updated Jan 14, 2021 | 06:17 IST

Kites in Makar Sakranti: मकर सक्रांति का त्योहार पतंग के बिना अधूरा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस पर्व में पतंग उड़ाने की शुरुआत कहां से हुई थी। जानिए मकर सक्रांति और रामायण की ये कथा।

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Makar Sakranti
मुख्य बातें
  • आज धूम धाम से मकर सक्रांति मनाई जा रही है।
  • मकर सक्रांति का पर्व पतंग के बिना अधूरा है।
  • मकर सक्रांति में पतंग उड़ाने की शुरुआत भगवान श्री राम ने की थी।

नई दिल्ली. देशभर में आज धूम धाम से मकर सक्रांति मनाई जा रही है। मकर सक्रांति में पतंग उड़ाने की एक परंपरा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पावन पर्व में पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम ने शुरू की थी। 

तमिल की तन्दनानरामायण के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन श्रीराम ने पतंग उड़ाई थी। ये पतंग इंद्रलोक चली गई थी। इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी को पतंग का रंग बेहद पसंद आ गया था। 

पतंग के काफी देर तक न मिलने के बाद भगवान श्री राम ने हनुमानजी को पतंग लेने देवलोक भेजा। बजरंग बली ने जयंत की पत्नी से श्री राम की पतंग लौटाने को कहा। इस पर उन्होंने कहा कि वह श्री राम के दर्शन के बाद ही पतंग लौटाएंगी।

चित्रकुट में दिए दर्शन
हनुमान जी देवलोक से वापस लौटे और प्रभु श्री राम को जयंत की पत्नी की इच्छा बताई। इस पर भगवान श्री राम ने कहा कि वह उन्हें चित्रकुट में दर्शन देंगे। बजरंग बली ने श्री राम का संदेश जयंत की पत्नी को दिया। इसके बाद उन्होंने पतंग लौटाई। 

भारत में मकर संक्रांति के दिन कई जगहों पर काइट फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है। गुजरात में खासकर इंटरनेशनल काइट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है।

सेहत के लिए फायदेमंद
पतंग उड़ाना सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। दरअसल सर्दी के महीने में शरीर का सूरज से संपर्क कम हो जाता है। ऐसे में पतंग उड़ाने के बहाने लोग सूरज की धूप के संपर्क में भी आ सकते हैं। 

दक्षिण भारत में मकर सक्रांति को पोंगल , गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी और उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इस त्योहार को 'ख‍िचड़ी'  के नाम से जाना जाता है।

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