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Malmas Start Date 2020: 18 सितंबर से शुरू हो रहा है मलमास, जानें क्या करें और क्या नहीं

Updated Sep 17, 2020 | 14:20 IST

Malmas kab se shuru hoga: पितृपक्ष के अगले दिन से मलमास का आरंभ हो रहा है। इस बार दो अश्विन मास होंगे। मलमास यानी अधिकमास में कुछ चीजें निषेध हैं और कुछ विशेष धार्मिक कार्य करने का विधान भी है।

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What to do and what not in Malmas ,मलमास में क्या करें और क्या नहीं
मुख्य बातें
  • पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है मलमास
  • धार्मिक कार्य अधिक से अधिक करने का है महत्व
  • गरीबजनों को पीली चीजें दान करना माना जाता है शुभ

Malmas / Adhik Maas 2020: मलमास को मलिन मास या अधिक मास भी कहा जाता है। इस बार पितृपक्ष के अगले दिन से ही मलमास शुरू हो रहा है। मलमास में कोई भी शुभ कार्य निषेध माना गया है। बस धार्मिक कार्य से जुड़े कार्य ही किए जा सकते हैं। इस समय चातुर्मास चल रहा है। चातुर्मास चार महीने का होता है, लेकिन इस बार मलमास के कारण ये पांच महीने का होगा।

मलमास के कारण ही पितृपक्ष के ठीक बाद नवरात्रि नहीं आ रही है। मलमास में खत्म होने के बाद नवरात्रि का आरंभ होगा। 19 सालों बाद दो अश्विन माह इस बार पड़ रहे हैं। अधिकमास के कारण ही अश्विन मास दो बार होगा। लगभग हर 19 साल के अंतराल पर मध्यमान अधिकमास आता है। 2020 के बाद ये योग 2039 में फिर बनेगा।

18 सितंबर से शुरू होगा अधिक मास
आश्विन महीने में अधिमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक चलेगा। नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होगी गौर 26 अक्टूबर को दशहरा और 14 नवंबर को दीपावली होगी। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास समाप्त हो जाएगा।

मलमास में जरूर करें ये 3 उपाय, जीवन रहेगा सुखमय

  1. मलमास में कोई शुभ कार्य तो नहीं किए जा सकते, लेकिन धार्मिक और दान-पुण्य के काम जरूर करने चाहिए। मलमास में पीले फल, मिठाई, अनाज व वस्त्रों का दान करना शुभकर माना गया है, क्योंकि भगवान विष्णु का प्रिय रंग पीला है और मलमास को भगवान पुरुषोत्तम का मास माना जाता है। इसलिए पीले चीजों के दान का विशेष महत्व होता है। 

  2. मलमान में तुलसी पूजन जरूर करें और रोज संध्या के समय तुलसी के सामने दीप दान कर “ॐ वासुदेवाय नम:” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र जाप के साथ तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। इससे आपके घर में सौभाग्य का वास होगा।

  3. मलमास भर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इससे मनुष्य के विचार और कर्म शुद्ध होते हैं और घर मे सुख-शांति का वास होता है। 

मलमास में क्या करने का है महत्व?
मलमास भगवान पुरुषोत्तम का महीना होता है, इसलिए इस मास में धर्म-कर्म खूब करना चाहिए। मलमास में सूर्योदय के पहले उठकर स्नान-ध्यान करने का विधान है। साथ ही श्रीमद्भागवत का पाठ करने से अमोघ पुण्यलाभ मिलता है।मलमास में उन लोगों को जरूर दान-पुण्य करना चाहिए जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ फल नहीं दे रहा हो।

मलमास में नहीं करने चाहिए ये काम:
मलमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इस कार्य पर देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिलता। इसलिए विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन व नए कार्य प्रारंभ नहीं करने चाहिए। मलमास में जितना हो सके धर्म से जुड़े कार्य करें और गरीबों की मदद करें। ऐसा करने वाले को भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलता है।

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