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Mangala Gauri Vrat 2020 : सावन में मंगला गौरी की कर लें पूजा, विवाह-नौकरी से जुड़ी हर बाधा होगी दूर

Updated Jul 21, 2020 | 08:20 IST

Mangla Gauri Vrat : सावन में हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी की पूजा का विशेष विधान होता है। देवी की पूजा से विवाह, नौकरी, व्यापार और धन संबंधी सभी दिक्कते दूर हो जाती हैं।

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Mangla Gauri Puja, मंगला गौरी पूजा
मुख्य बातें
  • सावन में हर मंगलवार को करनी चाहिए देवी की पूजा
  • सावन मास कठिन तप और व्रत कर के देवी ने शिवजी को पाया था
  • इस दिन देवी को पूजा में सब कुछ 16 की संख्या में चढ़ाना होता है

सावन मास में शिवजी के साथ शिव परिवार की पूजा का भी बहुत महत्व माना गया है। मान्यता है कि मंगलवार को देवी पार्वती की पूजा करने वाले मनुष्य के जीवन से हर तरह की समस्या दूर हो जाती है। सावन मास में मंगलवार के दिन मंगला गौरी की पूजा से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव को पाने के लिए देवी पार्वती ने सोलह सोमवार का व्रत किया था और कठोर तप और लगन से शिवजी को पाया था। यही कारण है कि शिव जी के साथ शिव परिवार के लिए भी ये सावन मास बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। सावन के तीसरे मंगलवार पर इस विधि से करें मंगला गौरी की पूजा।

जानें, मंगला गौरी व्रत का पुण्यलाभ

देवी मंगला गौरी की पूजा और व्रत केवल सुहागिनें ही नहीं कुंवारी लड़कियों को भी जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले कुंवारे लड़के-लड़कियां को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। सावन में इस दिन व्रत-उपवास करने से सुख-सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। ये व्रत पति व संतान की लंबी उम्र एवं सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। साथ ही विवाह में आ रही रूकावटे दूर होने के साथ नौकरी और व्यवसाय से जुड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।

ऐसे करें मां मंगल गौरी व्रत और पूजन

  1. स्नान ध्यान के बाद पूजा और व्रत का संकल्प लें। और देवी को लाल पुष्प और चुनरी चढ़ा कर धूप दीप नैवेद्य से उनकी पूजा करें।  
  2. देवी के चित्र या प्रतिमा के सामने हाथ में थोड़ा सा जल व अक्षत लेकर अपनी मनोकामना बताएं और देवी के सामने आटे का बड़ा दीपक बनाकर उसमें गाय का घी डालकर रूई की 16 बत्तियां लगाकर जलाएं।
  3. इसके बाद 16 बत्तियों वाला दीपक जलाकर मां मंगला गौरी का षोडशोपचार विधि से श्रद्धापूर्वक पूजन करें।देवी पूजा में 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू , सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां, मिठाई, 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज (गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि देवी को चढ़ाएं।
  4. इसके बाद देवी के मंत्र का जप सुबह एवं शाम को 108-108 बार जप करें।
  5. व्रतीजन शाम को देवी पूजा के बाद आहार ग्रहण कर सकते हैं।

देवी के इस मंत्र का जाप जरूर करें

श्वेते वृषे समारुढ़ा, श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरीं शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।

मंगला गौरी की पूजा से मनुष्य की मनोकामना भी पूर्ण होती है और जीवन पर आए संकट भी दूर होते हैं।

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