- हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व है
- मोक्षदा एकादशी का व्रत मोक्ष की प्राप्ति करवाता है
- ये कथा खुद भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी
Mokshada Ekadashi Vrat Katha in hindi: हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह व्रत 14 दिसंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार यह व्रत को करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। आपको बता दें मोक्षदा एकादशी का व्रत भगवान श्री विष्णु को समर्पित है।
इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह व्रत यदि व्यक्ति श्रद्धा-पूर्वक करें, तो पापों से मुक्ति मिल सकती है। धर्म के अनुसार यह व्रत हमारे पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। शास्त्र के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन के मोह को भंग करने के लिए भगवत गीता का उपदेश दिया था। यदि आप इस व्रत को हर साल करते है या करना चाहते हैं, तो यहां आप इस व्रत की पौराणिक कथा पढ़ सकते हैं।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha in hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में चंपकनगर नाम का राज्य हुआ करता था। उस राज्य का राजा वैखानस था। वैखानस के राज्य में चारों वेदों के ज्ञानी ब्राह्मण रहा करते थे। राजा वैखानस को अपना राज्य बहुत ही प्यारा था। वह अपनी प्रजा को पुत्र की भांति समझता था। एक दिन राजा ने बहुत बुरा सपना देखा। उन्होंने देखा कि उनके पूर्वज नरक में रह रहे है और वह उन्हें वहां से बाहर निकाले की प्रार्थना कर रहे हैं। ऐसे सपने को देखकर राजा बहुत दुखी हो गया।
तब वह तुरंत अपने राज्य में रहने वाले ब्राह्मण के पास गया। उसने अपने बुरे स्वप्न के बारे में ब्राह्मण से कहा कि उसने अपने सपने में अपने पूर्वजों को नरक में देखा है। वह मुझसे यहां से निकाल बाहर निकालने के लिए विनती कर रहे हैं। राजा ने ब्राह्मण से कहा 'हे ब्राह्मण देवता' मैं उन्हें ऐसे कष्टों से बाहर निकालना चाहता हूँ। इसके लिए मुझे क्या करना होगा, आप कृपा करके मुझे बताएं।
यह सुनकर ब्राह्मण ने राजा से कहा 'हे राजन' यहां पास में ही एक ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है। वह भूत, भविष्य और वर्तमान सभी के बारे में बताते हैं। वह आपकी इस समस्या को जरूर दूर कर देंगे। आप वहां जाएं। यह सुनकर राजा वैखानस तुरंत ज्ञाता पर्वत ऋषि के पास गया। वहां जाकर उन्होंने अपनी सारी व्यथा ऋषि से कह डाली।
राजा वैखानस की बात सुनकर पर्वत ऋषि ने कहा, 'हे राजन्' आप मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है, उस व्रत करें। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। ऋषि की यह बात सुनकर राजा ऋषि को प्रणाम कर वहां से चल दिया। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष के दिन राजा ने मोक्षदा एकादशी व्रत रखकर विधिपूर्वक श्री विष्णु की पूजा की। इस व्रत के प्रभाव से राजा के पूर्वज को नरक से मुक्ति मिल गई।