व्यक्ति की जन्म तिथि, जन्म समय और जन्मस्थान के आधार पर कुंडली बनाई जाती है जिसमें मुख्यतया 9 ग्रह होते हैं। राहु और केतु छाया ग्रह हैं। जिनमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल होते हैं। जीवन में घटने वाली घटनाओं के पीछे इन 9 ग्रहों के गोचर का बहुत प्रभाव पड़ता है। नव ग्रहों के अलग अलग बीज मंत्र और यंत्र हैं। ज्योतिष में कुल 12 राशियां होती हैं। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन।
इन राशियों में समय समय पर ग्रहों का प्रवेश कुछ निश्चित समय के लिए होता है। भगवान शिव के पूजन के साथ साथ नवग्रह पूजन भी होता है। नवग्रहों के वैदिक और तांत्रिक मंत्र और निश्चित जप संख्या होती है। ज्योतिष के जानकार सुजीत जी महाराज से जानें इन नवग्रह का पूजन किस प्रकार से करें और क्या हैं इनके मंत्र जाप...
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नवग्रहों के 9 बीज मंत्र एवं दान सामग्री-
1. सूर्य - सूर्य को नवग्रहों में राजा माना गया है। अत: सूर्य को प्रसन्न करने के लिए गेहू, तांबा, घी, स्वर्ण और गुड़ का दान करना चाहिये। सूर्योदय के समय इसके मंत्र - ॐ हृां हीं सः सूर्याय नमः का 7000 बार जाप करना चाहिये।
2. चंद्रमा - चंद्रमा को मजबूत बनाने के लिये चांदी, चीनी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें। साथ ही 11000 बार ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः का जाप करें।
3. मंगल - मंगल के लिये गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र और गुड़ का दान करें। मंगल को प्रसन्न करने के लिए इसके मंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः मंत्र का जाप 10000 बार करें।
4. बुध - बुध ग्रह का का कारक मूंग, हरा वस्त्र, कपूर है। बुध को मजबूत बनाने के लिए - ॐ ब्रां ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः का जाप 9000 बार करना चाहिए।
5. गुरु- गुरु के लिये सोना, चनादाल, पीला रंग, पीली हल्दी दान करें। इसकी शुभता के लिए 19000 बार ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरुवै नमः मंत्र का जाप करें।
6. शुक्र - शुक्र ग्रह का प्रमुख रत्न हीरा है। इसे मजूबत बनाने के लिये चांदी, चावल, दुग्ध, इत्र का दान करें। इसकी शुभता बढ़ाने के लिये ॐ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नम: का 16000 बार जाप करें।
7. शनि - शनि ग्रह का प्रमुख रत्न नीलम है। इसका कारक तिल, तेल, काला वस्त्र और कंबल माना जाता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नम:मंत्र का जाप, संध्या समय कुल 23000 बार किया करें।
8. राहु - नीला वस्त्र, सरसो, उड़द दाल को राहु का कारक माना गया है। राहु की शांति के लिए -ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः मंत्र का जाप 18000 बार करें।
9. केतु- इस ग्रह का कारक सात अनाज, तिल और ऊनी वस्त्र है। इसको शांत करने के लिये ॐ स्रां स्रीं स्रों सः केतवे नमः मंत्र का जाप 17000 बार करें।
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नवग्रह-पूजन विधि-
नवग्रह को पूजने के लिये सबसे पहले ग्रहों का आह्वान करें। उसके बाद उनकी स्थापना करें। फिर अपने बाएं हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करते हुए दाएं हाथ से अक्षत अर्पित करते हुए ग्रहों का आह्वान किया जाता है। इस प्रकार सभी ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है। इसके उपरांत हाथ में अक्षत लेकर मंत्र उच्चारित करते हुए नवग्रह मंडल में प्रतिष्ठा के लिये अर्पित करें। अब मंत्रोच्चारण करते हुए नवग्रहों की पूजा करें। ध्यान रहे पूजा विधि किसी विद्वान ब्राह्मण से ही संपन्न करवायें। इस पूजा को किसी नवग्रह मंदिर में ही करें।
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