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Navratri 2021 Maa Durga Aarti: 'जय अम्बे गौरी, मैय्या जय श्यामा गौरी आरती' यहां देखें मां दुर्गा की आरती के ह‍िंदी ल‍िर‍िक्‍स

Updated Oct 09, 2021 | 19:12 IST

Navratri 2021 Maa Durga Aarti & Mantra Lyrics in Hindi (जय अम्बे गौरी, मैय्या जय श्यामा गौरी आरती) : नवरात्र के पूजन में मां की आरती अन‍िवार्य रूप से शामिल की जाती है। यहां देखें उनकी आरती के ह‍िंदी ल‍िर‍िक्‍स।

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Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri Aarti
मुख्य बातें
  • नवरात्र में मां दुर्गा की व‍िध‍ि के साथ पूजा की जाती है
  • पूजा में मंत्र जाप और आरती करना अन‍िवार्य बताया गया है
  • यहां आप जय अम्बे गौरी, मैय्या जय श्यामा गौरी आरती के ह‍िंदी ल‍िर‍िक्‍स देख सकते हैं

Navratri 2021 Maa Durga Aarti & Mantra Lyrics in Hindi (जय अम्बे गौरी, मैय्या जय श्यामा गौरी आरती) :  नवरात्र के पहले द‍िन मां की पूजा में कलश स्‍थापना का भी व‍िधान है। कलश को मां के अलग अलग स्‍वरूपों का प्रतीक माना गया है। नवरात्र में मां के नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाती है। इस पूजा में मंत्र और आरती का जाप भी होता है। मान्‍यता है क‍ि इनके ब‍िना मां की पूजा पूर्ण नहीं होती है।

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अगर आप भी नवरात्र के व्रत करते हैं तो मां की पूजा में मंत्र जाप जरूर करें और अंत में आरती भी करें। यहां आप मां दुर्गा की आरती जय अम्बे गौरी, मैय्या जय श्यामा गौरी आरती के ह‍िंदी ल‍िरिक्‍स देख सकते हैं। मां दुर्गा की ये आरती काफी प्रचलित है और लगभग सभी को याद होती है। 

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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्.वत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

मांग सिंदूर विराजत, टीको जगमद को।
उज्जवल से दो नैना चन्द्रवदन नीको।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।
ओम जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।।
ओम जय अम्बे गौरी।

शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

ब्रम्हाणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शव पटरानी।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

तुम ही जग की माता, तुम ही भरता।
भक्तन की दुख हरता सुख संपत्ति करता।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
ओम जय अम्बे गौरी।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे।।
ओम जय अम्बे गौरी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

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