लाइव टीवी

Nirjala Ekadashi 2022 Date: निर्जला एकादशी कब है 2022, जानें डेट, पूजा मुहूर्त और व्रत विधि

Updated Apr 18, 2022 | 18:21 IST

Nirjala Ekadashi 2022 Date (निर्जला एकादशी कब है 2022): निर्जला एकादशी व्रत जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त निर्जला व्रत रखते हैं। यहां आप निर्जला एकादशी 2022 की डेट और पूजा मुहूर्त जान सकते हैं।

Loading ...
निर्जला एकादशी 2022 कब की है

Nirjala Ekadashi 2022 Date: हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। यह व्रत हर साल जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त निर्जला रहकर श्री हरि की पूजा आराधना करते हैं। ऐसी मान्यता है, कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से जीवन में किए गए पाप धुल जाते हैं। यदि आप निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले हैं, तो यहां आप इससे जुड़ी कई सारी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।

निर्जला एकादशी 2022 डेट (When is Nirjala Ekadashi in 2022)

इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 10 और 11 जून को रखा जाएगा। इस व्रत को बिना अन्न और जल ग्रहण किए रखा जाता है। व्रत 10 जून को रखा जाएगा और पूजा व पारण 11 जून को होगा। 

Nirjala Ekadashi 2022  Date and Time

  • निर्जला एकादशी 2022 तिथि प्रारम्भ -  10 जून
  • निर्जला एकादशी 2022 प्रारंभ -  सुबह 07:25 मिनट से
  • एकादशी तिथि समाप्त - 11 जून
  • समय-  शाम 05:45 मिनट तक

हर प्रतिमा या फोटो में मां काली की जीभ बाहर क्यों निकली होती है? जानें इसके पीछे की कहानी

निर्जला एकादशी 2022 व्रत विधि (Nirjala Ekadashi 2022 Vart Vidhi)

  • निर्जला एकादशी के दिन सुबह-सुबह नित्य क्रिया से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का ध्यानकरें।
  • अब भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
  • अब पीला वस्त्र धारण करें। अब भगवान विष्णु की प्रतिमा पर तुलसी और पीला पुष्प अर्पित करें।
  • अब भगवान विष्णु का मन से ध्यान करें और निर्जला एकादशी की व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
  • निर्जला एकादशी के दिन भर बिना जल के व्रत रखें। व्रत के नियमों का पालन करें।

अत्यंत कल्याणकारी है वैशाख माह में विष्णु जी की अर्चना, जानें प्रारंभ तिथि व महत्व

निर्जला एकादशी 2022 व्रत की कथा  (Nirjala Ekadashi 2022 vrat katha)

पौराणिक कथा के अनुसार जब भीम ने भगवान वेदव्यास जी से कहा कि हे, भगवान आप, भ्राता युधिष्ठिर, माता कुंती अर्जुन तथा नकुल सहदेव मुझे एकादशी का व्रत रखने को कह रहे हैं। मैं भगवान विष्णु की पूजा के लिए समस्त कार्य कर सकता हूं, परंतु बिना खाए मैं नहीं रह सकता हूं। आप बताएं मैं क्या करूं। यह सुनकर वेदव्यास जी ने भीम से कहे हे, भीम अगर तुम स्वर्ग को अच्छा और नरक को बुरा समझते हो, तो तुम्हें वर्ष में दो बार एकादशी का व्रत करना चाहिए।

यह सुनकर भीम ने कहा आप ठीक करें हो, लेकिन मैं बिना खाएं कैसे रह सकता हूं। हे प्रभु आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताएं, जो वर्ष में एक बार करना हो और मुझे उस से मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। तब भगवान वेदव्यास ने भीम से कहा, हे भीम बड़े-बड़े ऋषि मुनियों ने भी बहुत बड़े-बड़े शास्त्र बनाएं हैं। उन शास्त्रों में ऐसे से व्रत बताएं गए है, जिसे करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्र में दो एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया हैं। 

यह सुनकर भीम ने तुरंत वेदव्यास जी से कहा, हे प्रभु आप मुझे उस व्रत की विशेषता और विधि बताएं ताकि मैं उसे सही तरीके से कर सकूं। यह सुनकर वेदव्यास जी कहे मिथुन और ब्रिज संक्रांति के बीच जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी आती है, उसका नाम निर्जला है, तुम उस दिन एकादशी का व्रत रखों। इस दिन तुम जल और भोजन नहीं करना। भोजन करने से यह व्रत टूट जाएगा और तुम्हें इसको कोई लाभ नहीं मिल पाएगा।

इस व्रत को सही तरीके से करने से तुम्हें 24 एकादशीयों का फल प्राप्त हो सकता हैं। हे भीम द्वादशी के दिन तुम सर्वप्रथम नित्य क्रिया से निवृत्त होकर ब्राह्मणों को दान करना और भूखे ब्राह्मणों को भोजन करवाकर फिर स्वयं भोजन करना। वेदव्यास जी ने कहा कि हे भीम यह एकादशी का व्रत मुझे स्वयं भगवान विष्णु ने बताया था। इस व्रत को करने यमराज भी उस व्यक्ति को इस धरती से नहीं ले जा पाते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल