ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार पापमोचनी एकादशी का तात्पर्य है जो एकादशी पाप को नष्ट करती हो तथा अनंत पुण्य की प्राप्ति कराती हो। एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित व्रत है। यह व्रत सात्विक तरीके से रहकर अपने आपको भगवान विष्णु के प्रति समर्पित रहने का है।
अपने आपको श्री हरि चरणों में समर्पित करना ही सर्वोच्च भक्ति है। इस वर्ष पापमोचनी एकादशी 31 मार्च दिन रविवार को है।
व्रत विधि-
प्रातः काल में ब्रम्हमुहूर्त में ही उठकर मन की निर्मलता को ध्यान रखते हुए मंदिर में उचित आसन पर बैठकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सम्मुख बैठकर पूजा का संकल्प लें। भगवान विष्णु की व्रत कथा पढ़ें। कलयुग में भगवान के नाम की बहुत महिमा है। इसलिए इस व्रत में श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ बहुत लाभकारी है। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नामक महामंत्र को जपते रहें। इस महामंत्र को पूरे व्रत के समय मन ही मन जपें। इस पूजा में सुगंधित अगरबत्ती तथा घी का अखंड दीपक जलता रहे। पूजा सम्पूर्ण होने के बाद भगवान की भव्य आरती करें।
करें दान और पाएं पापों से मुक्ति-
इस दिन दान का बहुत महत्व है।अन्न का दान अवश्य करें।गरीबों में भोजन तथा वस्त्र का वितरण करें।गो शाला में गायों को भोजन कराएं तथा दान करें।पीला वस्त्र दान करें।इस दिन धार्मिक पुस्तकों का दान बहुत पुण्यदायी है।
पूजा के कुछ विशेष शुभ मुहूर्त-
- दिन में 12 बजे से 12:50 pm तक
- प्रातः 7 बजे से 08:50 am तक
- 2:28pm से03:17 pm
व्रत के पारण का मुहूर्त-
01 अप्रैल को दिन में 01:40 से 4 बजे तक
इस व्रत में चावल घर में नहीं बनना चाहिए। घर का वातावरण बहुत ही सात्विक हो। अहिंसा का पालन हो। किसी की निन्दा करने से व्रत का पुण्य समाप्त हो जाता है।
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