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Papmochani Ekadashi vrat katha: पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा, पौराणिक कहानी से जानें क्यों रखना चाहिए ये व्रत

Updated Mar 28, 2022 | 08:12 IST

Papmochani Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है, कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। इस साल यह व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा।

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पापमोचनी एकादशी व्रत कथा हिंदी में
मुख्य बातें
  • पापमोचनी एकादशी व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा
  • इस दिन भगवान विष्णु को केले और तुलसी का लगाया जाता है भोग
  • पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से सुख-समृद्धि के साथ वैभव की प्राप्ति होती हैं

Papmochani Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: पंचांग के अनुसार साल में 24 एकादशी होती है। उन्हीं एकादशी में से एक पापमोचनी एकादशी का व्रत है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। पापमोचनी एकादशी हर वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में होती है। इस वर्ष पापमोचनी एकादशी का व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा। शास्त्र के अनुसार पापमोचनी का व्रत भक्ति पूर्वक करने से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पाप धूल जाते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्ण के भक्त उन्हें केले और तुलसी का भोग लगाते हैं। पापमोचनी एकादशी के व्रत में कथा पढ़ना बेहद लाभदायक होता है। ऐसी मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी व्रत में कथा सुनने या पढ़ने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। यदि आप भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत करना चाहते हैं या करने की सोच रहे हैं, तो उस दिन भगवान विष्णु की ये पावन कथा जरूर पढ़ें।

पापमोचनी एकादशी 2022 व्रत कथा (Papmochani Ekadashi vrat katha in Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार बहुत समय पहले चैत्ररथ सुंदर नाम के वन में ऋषि च्यवन अपने पुत्र मेधावी के साथ रहते थे। एक दिन मेधावी तपस्या में लीन थे। मेधावी की कठोर तपस्या से इंद्र का सिंहासन हिल उठा। इससे घबराकर भगवान इंद्र ने मंजुघोषा नाम की एक अप्सरा को ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए पृथ्वी पर भेजा। अप्सरा की खूबसूरती को देखकर ऋषि की तपस्या भंग हो गई और ऋषि उसी अप्सरा के साथ रहने लगें।

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कुछ समय साथ बिताने के बाद मंजुघोषा अप्सरा ने ऋषि से स्वर्ग में वापस जाने की आज्ञा मांगी। इस बात को सुनने के बाद ऋषि को एहसास हो गया कि उनकी तपस्या भंग हो चुकी है। इस बात पर ऋषि बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने अप्सरा को शाप दे दिया कि तूने मेरी तपस्या भंग की है, अब तू पिशाचिनी बन जा। तब ऋषि के श्राप से दुखी अप्सरा ने बताया कि वह भगवान इंद्र के कहने पर वह यहां आई है। श्राप से मुक्ति पाने के लिए अप्सरा  ऋषि से विनती करने लगीं।

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तब मेधावी ऋषि ने अप्सरा की विनती सुना और उनेहोनें उसे श्राप से मुक्त होने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत करने को कहा। अप्सरा ने श्रद्धा पूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। भगवान विष्णु की असीम कृपा से वह अप्सरा ऋषि के श्राप से मुक्त हो गई और वह पुनः स्वर्ग लोक को चली गई।हिंदू शास्त्र के अनुसार पापमोचनी के व्रत को करने से जीवन में किए गए सभी पाप धुल जाते हैं। उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। तभी से पापमोचनी एकादशी का व्रत संसार में विख्यात हो गया।

डिस्क्लेमर: ये सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। टाइम नाउ नवभारत किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। 

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