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Radha Ashtami Vrat Katha 2022: राधा अष्टमी की व्रत कथा, पौराणिक कहानी से जानें क्यों की जाती है कान्हा की सखी की पूजा

Updated Sep 04, 2022 | 07:58 IST

Radha Ashtami 2022 Vrat Katha in Hindi: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखकर भक्त राधा रानी की पूजा करते हैं। राधाष्टमी के इस व्रत में कथा के पाठ का भी महत्व होता है। यहां पढ़ें राधाष्टमी की व्रत कथा हिंदी में।

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Radha Ashtami 2022 vrat katha

Radha Ashtami 2022 Vrat Katha in Hindi: जब भी भगवान कृष्ण की बात होती है तो राधा का जरूर नाम लिया जाता है। मान्यताओं के मुताबिक भगवान कृष्ण के जन्म से ठीक 15 दिन बाद राधा का जन्म हुआ था। यही वजह है कि कृष्ण जन्माष्टमी के बाद राधाष्टमी का त्योहार भी मनाया जाता है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का सेलिब्रेशन होता है। वैसे तो देशभर में इस त्योहार का सेलिब्रेशन होता है लेकिन वृंदावन, मथुरा और बरसाना में इसका खास महत्व है। इस दिन व्रत रह कर राधा रानी की पूजा भी की जाती है। तो आइए जानते हैं कि इस साल राधाष्टमी किस तारीख को पड़ रहा है। साथ ही इसके व्रत कथा को भी जानेंगे है। 

Radha Ashtami Date in 2022

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक इस साल का राधाष्टमी पर्व 4 सितंबर को मनाया जाएगा। इस तारीख को रविवार दिन है। इसी दिन व्रत का पारण भी होगा। बता दें कि अष्टमी तिथि 3 सितंबर को दोपहर 12:25 पर शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन 4 सितंबर 2022 रविवार को सुबह 10.40 मिनट पर होगा। 

Radha Ashtami Vrat Katha in Hindi

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जब माता राधा स्वर्ग लोक से कहीं बाहर गई थीं, तभी भगवान श्रीकृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। जब राधा ने यह सब देखा तो नाराज हो गईं और व‍िरजा का अपमान कर द‍िया। आहत व‍िरजा नदी बनकर बहने लगी। राधा के व्‍यवहार पर श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को गुस्सा आ गया और वह राधा से नाराज हो गए। सुदामा के इस तरह के व्यवहार को देखकर राधा नाराज हो गईं और उन्होंने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया। इसके बाद सुदामा ने भी राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया। राधा के श्राप की वजह से सुदामा शंखचूड़ नामक दानव बने, बाद में इसका वध भगवान शिव ने किया। वहीं सुदामा के दिए गए श्राप की वजह से राधा जी मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर आईं और उन्हें भगवान श्री कृष्ण का वियोग सहना पड़ा।

कुछ पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म ल‍िया, ठीक उसी तरह उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रूप में पृथ्वी पर आई थीं। ब्रह्म वैवर्त पुराण की मानें तो राधाजी, श्रीकृष्ण की सखी थीं और उनका विवाह रापाण या रायाण नाम के व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ था।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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