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sai stotram Jaap : श्री साईं स्तोत्र पढ़ने से अशांत मन हो जाता है शांत, जानें कैसे करें जाप

Updated Jul 09, 2020 | 08:56 IST

Shri Sai Stotra: शिरडी वाले साईं बाबा की विशेष पूजा गुरुवार के दिन होती है और इस दिन यदि आप श्री साईं स्तोत्र का पाठ कर लें तो आपके अशांत मन को शांति मिलेगी और बिगड़े काम भी बनने लगेंगे।

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Benefits of reading Shree Sai Stotra, श्री साईं स्तोत्र पढ़ने के फायदे
मुख्य बातें
  • श्री साईं स्तोत्र के पाठ से जीवन की परेशानिया दूर होती हैं
  • शाम के समय श्री साईं स्तोत्र का पाठ करना होता है फलदायी
  • साईं की कृपा पाने के लिए निश्चल मन से उनकी करें पूजा

साईं की पूजा का विधान बेहद सरल है। साईं अपने भक्तों के मन में अपने प्रति प्रेम को देखना चाहते हैं। वह प्रेम के भूखे हैं। वह किसी चढ़ावे या दिखावे से प्रसन्न नहीं होते। प्रेम और भक्ति में डूबे भक्तों पर साईं की कृपा हमेशा बनी रहती है। साईं की पूजा यदि निश्चल भाव से की जाए तो मन मांगी मुरादे पूरी होती हैं। वहीं जीवन के कष्ट और संकट अपने आप साईं दूर कर देते हैं। वह भक्तों की पुकार का इंतजार नहीं करते। इसलिए साईं की पूजा करने वाले भक्त को पूरी श्रद्धा और प्रेम से साईं की गुरुवार को पूजा करनी चाहिए।

Shri Sai Stotra Ke Fayde

गुरुवार को साईं की पूजा के बाद, श्री साईं स्तोत्र का पाठ करने के बहुत से फायदे हैं। यदि आपका मन अशांत रहता हो या किसी परेशानी के कारण दिन-रात का चैन उड़ गया हो, तो श्री साईं स्तोत्र के पाठ से न केवल मन शांत होगा अपितु इससे आपके संकट भी दूर होंगे। श्री साईं स्तोत्र के पाठ से शत्रु संकट, धन संकट, रोग आदि सब दूर होता है। संतान और वैवाहिक जीवन में सुख आता है।

Shri Sai Stotra Jaap Timings : कब करें साईं स्‍तोत्र का जाप

श्री साईं स्तोत्र पाठ को शाम के समय करना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम एक शांत जगह पर आसन लगा कर बैठ जाएं। इसके बाद निर्मल मन से एकाग्र होकर सांईं का ध्यान करें औ स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद साईं के नाम का कम से कम 108 बार जाप कर लें। साईं नाम तुलसी या रुद्राक्ष की माला के साथ जपें।

Shri Sai Stotra Lyrics in Hindi : श्री साईं स्तोत्र का पाठ

जय जय साईनाथा शुभ तव गाथा प्रकट ब्रह्म श्री संता ।

जय करुणसागर सब गुण आगर अलख-असीम अनंता ॥….(1)

जय सर्वज्ञानी अंतर्यामी अच्युत-अनूप-महंता ।

जय सिद्धिविनायक शुभफलदायक पालक जगत नियंता ॥….(2)

जय सृष्टि रचयिता धारणकर्ता सर्वश्रेष्ठ अभियंता ।

जय सर्वव्यापी परम प्रतापी प्रेम-पयोधि प्रशांता ॥….(3)

जय सहज कृपाला दीन दयाला प्रणतपाल भगवंता ।

जय सच्चिदानंदा प्रभु गोविंदा हिय कोमल अत्यंता ॥….(4)

जय जय अविनाशी मशिद निवासी परम पवित्र पुनीता ।

जय जनहिताकारी मुनिमनहारी सर्वसुलभ धीमंता ॥….(5)

जय जय शुभकारक अधमउद्धारक अतुलनीय बलवंता ।

जय कृपानिधाना सुह्रदसुजाना लोभ-मोह-मद हन्ता ॥….(6)

जय अहम निवारक चित्तसुधारक शुद्ध ह्रदय श्रीकांता ।

जय अजर-अजन्मा शुभ गुण धर्मा ध्यानलीन अति शांता ॥….(7)

जय नाथ निराला ह्रदय विशाला निरासक्त गुणवंता ।

जय वृति नियामक तृप्ति प्रदायक स्वयं सदगुरु दत्ता ॥….(8)

जय जय त्रिपुरारी कृष्ण मुरारी जय जय जय हनुमन्ता ।

जय साई भिखारी अति अनुरागी व्यापित सकल दिगंता ॥….(9)

गाऊँ तव लीला मधुर रसीला बोधपूर्ण वृतांता ।

बोलूँ कर जो‌ड़ी स्तुति तोरी सुनहुँ प्रार्थना संता ॥….(10)

जय जय सन्यासी हरहूँ उदासी प्रेम देहुँ जीवंता ।

जय जय श्री साई अति प्रिय माई करुणा करहुँ तुरन्ता ॥….(11)

॥ ऊँ श्री साई ॥

साईं की कृपा पाने का ये सबसे आसान और सरल उपाय है। साईं की पूजा के बाद इसे पढ़ना चाहिए।

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