- बेल के जड़ की पूजा करने से आर्थिक समस्या होती है दूर
- बेल वृक्ष की जड़ की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है
- शिवजी की पूजा में जरूर चढ़ाएं बेलपत्र
Vine Root Importance: भगवान शिवजी के प्रिय माह सावन की शुरुआत हो चुकी है। सावन के पूरे महीने शिवजी की विशेष पूजा-अराधना की जाती है और व्रत रखे जाते हैं। सावन का महीना भगवान शिवजी का प्रिय माह होता है, इसलिए भगवान भोलेनाथ को उनकी प्रिय चीजें ही पूजा में अर्पित की जाती है। इससे वे प्रसन्न होकर भक्तों को अपना आशीर्वाद देते हैं। भगवान शिव को भांग, धतूरा और बेलपत्र जैसी चीजें अर्पित की जाती है। बेलपत्र का पूजा में अधिक महत्व होता। खासकर शिवजी की पूजा में बेल और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। लेकिन केवल बेल का फल और बेलपत्र ही नहीं बल्कि बेल की जड़ का भी विशेष धार्मिक महत्व होता है और इसके कई लाभ भी बताए गए हैं, जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे।
Also Read: Vastu Tips For Money Plant: घर में है मनी प्लांट तो बांध दें लाल धागा, तरक्की के लिए करें ये काम
बेली की जड़ का महत्व
- कहा जाता है कि बेल की जड़ शिवजी को चढ़ाने से धन लाभ होता है और आर्थिक समस्या दूर होती है। क्योंकि इसकी जड़ में साक्षात माता लक्ष्मी का वास होता है।
- बेल के पेड़ को श्रीवृक्ष भी कहा जाता है। आर्थिक तंगी से छुटकारा के लिए बेल वृक्ष की पूजा करना फलयादी होता है।
- बेल वृक्ष के जड़ में अन्न, खीर, मिष्ठान और घी अर्पित करने से दरिद्रता का नाश होता है।
- बेल के जड़ को मस्तिष्क पर स्पर्श कराने मात्र से ही समस्त तीर्थ यात्रा जैसे पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
- मान्यता है कि बेल वृक्ष की जड़ की पूजा करने से व्यक्ति को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।
Also Read: Shani Dev Upay: काले तिल ही नहीं बल्कि इन आसान उपायों से भी प्रसन्न होंगे शनिदेव
बेलपत्र का पूजा में महत्व
शिवजी की कोई भी पूजा मे बेलपत्र चढ़ाने का महत्व होता है। लेकिन सावन के मौके पर इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि शिवलिंग पर एक लोटा शुद्ध जल और बेलपत्र चढ़ाने भर से ही भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए सावन माह की पूजा में बेलपत्र जरूर चढ़ाएं। बेलपत्र चढ़ाने से सुख-समृद्धि और शीतलता आती है। बेलपत्र को शिवजी के तीन नेत्रों का प्रतीक भी माना गया है। ये शिवजी के तीन नेत्र भूतकाल, भविष्य काल और वर्तमान काल देखते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)