- 26 सितंबर को प्रतिपदा तिथि पर होगी घटस्थापना
- मां दुर्गा की उपासना से पहले स्थापित होगा पवित्र कलश
- इन शुभ मंत्रों के साथ करें घटस्थापना
Shardiya Navratra 2022 Kalash Sthapna: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है जो 05 अक्टूबर तक चलेगी। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के स्वरूपों की उपासना होगी। लेकिन इससे पहले 26 सितंबर को प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना होगी। घटस्थापना में देवी की उपासना से पूर्व पवित्र कलश स्थापित किया जाता है। इस कलश को तय मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त में स्थापित करना ही शुभ होता है। शास्त्रों में कलश स्थापना के वक्त देवी के सात चमत्कारी मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इन मंत्रों के जाप के साथ स्थापित हुआ कलश शुभ परिणाम देता है। आइए घटस्थापना के इन मंत्रों को क्रमानुसार समझते हैं।
1. सबसे पहले दोनों हाथों से कलश को स्थापित करते हुए ''ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:, पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः'' का जाप करें।
2. फिर कलश में जल भरते हुए ''ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद'' मंत्र का जाप करें। कलश में पानी डालने के लिए जिस बर्तन का इस्तेमाल कर रहे हैं वो भी नया होना चाहिए।
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3. कलश पर चंदन, सिंदूर, सुपारी या सिक्का डालें और उस वक्त ''ओम त्वां गन्धर्वा अखनस्त्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः, त्वामोषधे सोमो राजा विद्वान् यक्ष्मादमुच्यत'' मंत्र का जाप करें।
4. कलश पर लाल रंग का कपड़ा लपेटते हुए ''ओम सुजातो ज्योतिषा सह शर्म वरूथमाऽसदत्स्वः, वासो अग्ने विश्वरूप ग्वंग सं व्ययस्व विभावसो'' मंत्र का जाप करें।
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5. इसके बाद ''ओम पूर्णा दर्वि परा पत सुपूर्णा पुनरा पत, वस्नेव विक्रीणावहा इषमूर्ज ग्वंग शतक्रतो'' इस मंत्र का जाप करते हुए कलश पर अक्षत से भरा मिट्टी का बर्तन रखें। अक्षत साबुत चावल को कहा जाता है।
6. फिर ''ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः, बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः'' मंत्र का जाप करें और कलश पर नारियल स्थापित करें। आखिर में कलश की पूजा करें और नीचे बताए गए मंत्रों का जाप करें।
मंत्र
ओम तत्त्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश ग्वंग स मा न आयुः प्र मोषीः, अस्मिन् कलशे वरुणं साङ्गं सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि, ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुन, इहागच्छ:, इह तिष्ठ, स्थापयामी, पूजयामी, मम पूजां गृहाण:, 'ओम अपां पतये वरुनाय नमः'
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)