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Shri Krishna Mantra lyrics: चमत्‍कारी माने गए हैं श्री कृष्‍ण के ये 5 मंत्र, देखें ल‍िर‍िक्‍स और अर्थ

Updated Aug 29, 2021 | 06:16 IST

Shri Krishna mantra : इस साल जन्माष्टमी 30 अगस्त सोमवार के दिन मनाई जाएगी। यदि आप यह बताएं गए मंत्रों को उनके अर्थ के साथ पढ़ें, तो भगवान बाल गोपाल आपकी हर मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण कर सकते हैं।

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कृष्ण भगवान के मंत्र
मुख्य बातें
  • हिंदू धर्म में जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है
  • इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा-आराधना की जाती है
  • ज्योतिष के अनुसार जिन व्यक्ति का चंद्रमा कमजोर होता है, उनके लिए श्रीहरि का पूजा करना बेहद लाभकारी होता है

Shri Krishna Mantra and meaning: जन्माष्टमी भारत देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। यह हिंदुओं के लिए विशेष त्योहार है। इस साल जन्माष्टमी 30 अगस्त सोमवार को मनाई जाएगी। धर्म के अनुसार इस दिन श्रीहरि की पूजा सच्चे मन से करने से हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यह हर साल अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। धर्म के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के अष्टमी को हुआ था। यदि आप भी भगवान श्री हरि का व्रत रखते हैं, तो इस बार यहां बताए गए मंत्रों को उनके अर्थ के साथ जन्माष्टमी के दिन जरूर पढ़ें। यह मंत्र आपके आसपास और घर के वातावरण को बेहद पवित्र बना देगा। घर की सभी नकारात्मक शक्तियां हमेशा के लिए नष्ट हो जाएंगी। यहां आप भगवान श्री हरि के मंत्रों और उनके अर्थ जान सकते हैं।

श्री हरि के मंत्र और उनके अर्थ, bhagwan shri krishna ji ke mantra with hindi meaning 

1.वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।

अर्थ-  कंस और चाणूर का वध करने वाले देवकी के आनंदवर्धन, वासुदेवनन्दन जगद्गुरु श्रीकृष्ण चंद्र की मैं बार-बार वन्दना करता हूँ।

2. वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वर:। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।

अर्थ- श्री राधारानी वृन्दावन की आप स्वामिनी है और भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन के स्वामी हैं। इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण आपके आश्रय में ही व्यतीत हो।

3. महामायाजालं विमलवनमालं मलहरं, सुभालं गोपालं निहतशिशुपालं शशिमुखम। कलातीतं कालं गतिहतमरालं मुररिपुं

अर्थ- जो मायारूपी महाजाल है। जिसने निर्मल वनमाला धारण किया है, जो मलका अपहरण करने वाला है, जिसका सुंदरभाल है, जो गोपाल है, शिशुवधकारी हैं, जिसका चांद सा चेहरा है, जो संपूर्ण कलातीत हैं, जो काल हैं, जो अपनी सुन्दर गति से हंस का भी विजय करने वाले है, जो मूर दैत्य का शत्रु है, मैं उस परमानन्दकन्द गोविंद का सदैव भजन करता हूँ।

4.  कृष्ण गोविंद हे राम नारायण, श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे। अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज, द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक।।

अर्थ-  हे कृष्ण, हे गोविन्द, हे राम, हे नारायण, हे रमानाथ, हे वासुदेव, हे अजेय, हे शोभाधाम, हे अच्युत, हे अनन्त, हे माधव, हे इंद्रियातीत, हे द्वारकानाथ, हे द्रौपदीरक्षक मुझ पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें। 

5. अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।

अर्थ- आप श्री मधुरापधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर मधुर हैं। मुख मधुर है, नेत्र मधुर हैं, हास्य मधुर है और गति भी बेहद मधुर है।

भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना संतान प्राप्ति कराने के साथ-साथ आयु और समृद्धि को भी बढ़ाता हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जिन व्यक्ति की चंद्रमा कमजोर हो वैसे व्यक्ति को भगवान श्रीहरि की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

(note : ये लेख आम धारणाओं पर आधार‍ित है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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