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यशोदा मां के 222 साल पुराने मंदिर की अनोखी कहानी, भरती है महिलाओं की सूनी गोद!

Updated Jan 24, 2021 | 18:52 IST

जो महिलाएं मां बनना चाहती हैं और उनकी चाहत पूरी नहीं होती तो वह 222 साल पहले स्थापित किए गए इंदौर के यशोदा मां के मंदिर में पूजा करने आती हैं।

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इंदौर का यशोदा माता मंदिर
मुख्य बातें
  • 222 साल पहले हुई थी इस मंदिर की स्थापना
  • नि:संतान दंपत्ति की पूरी होती है मनोकामना
  • इंदौर में स्थित इस मंदिर का है विशेष महत्व

भारत के हर एक प्रांत में कई मंदिर स्थित हैं जो अपने विशेष महत्व के लिए जाने जाते हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र में स्थित मां यशोदा का मंदिर। यह मंदिर 222 साल पुराना है जो भारत समेत पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की कोशिश कर रहे हैं और किसी कारणवश उनकी इच्छा पूरी नहीं हो रही है तो वह इस मंदिर में मां यशोदा की पूजा करने आते हैं।

माना जाता है कि मां यशोदा की पूजा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसकी विशेषता जितनी अनोखी है उतनी ही रोचक इस मंदिर की कहानी है जिसे आप लोगों को जरूर जाना चाहिए। यहां जानिए इस मंदिर की विशेषता और कहानी।

गुरुवार को होती है पूजा:
गुरुवार के दिन महिलाएं अनेक प्रदेशों से इंदौर के इस मंदिर में मां यशोदा की पूजा करने आती हैं। गुरुवार के दिन मां यशोदा को महिलाएं चावल, नारियल और अन्य चीजों से गोद भर्ती हैं। कहा जाता है कि जो महिला मां यशोदा की गोद भरती हैं उन्हें मां यशोदा यशस्वी पुत्र प्रदान करती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भी कई महिलाएं मां यशोदा की पूजा करने के लिए आती हैं।

मंदिर की विशेषता:
जब आप इस मंदिर में जाएंगे तो आप देख सकेंगे की माता यशोदा ने कान्हा को अपने गोदी में उठा रखा है। मां यशोदा की मूर्ति में उनके ममतामई अवतार दिखाया गया है। मां यशोदा की मूर्ति के साथ ही नंद बाबा और राधा कृष्ण की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं।

इस मंदिर के पीछे जुड़ी कहानी:
कई सालों से मां यशोदा के मंदिर को पुजारी महेंद्र दीक्षित संभालते आ रहे हैं। वह बताते हैं कि मां यशोदा के मंदिर को उनके परदादा ने 222 साल पहले स्थापित किया था। दरअसल, उनके परदादा की मां ने उनसे कहा था कि भगवान कृष्ण की पूजा तो पूरा विश्व करता है लेकिन उनको पाल पोस कर बड़ा करने वाली यशोदा मां की पूजा कोई नहीं करता है। अपनी माता जी की बात सुनकर महेंद्र जी के परदादा ने यह मंदिर बनवाया था।

इस मंदिर को सुसज्जित करने के लिए जयपुर से यशोदा मां की मूर्ति लाई गई थी। जब यह मंदिर बना था तो उस समय सिर्फ यशोदा मां की मूर्ति थी लेकिन बाद में यहां नंद बाबा की मूर्ति को स्थापित किया गया और इसके साथ राधा कृष्ण और दाई मां की मूर्ति भी स्थापित की गई थी। आपको बता दें कि इस मंदिर में यशोदा मां की मूर्ति नंद बाबा की मूर्ति से बड़ी है। 

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