लाइव टीवी

पांच हजार साल पुराने इस रहस्यमयी मंदिर से है पांडवों का खास रिश्ता, इस गुफा से गुजरकर बचाई थी जान

Updated Feb 14, 2022 | 12:08 IST

Lakhamandal Temple of Uttarakhand: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित लाखामंडल मंदिर का संबंध महाभारत काल से है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था।

Loading ...
Lakhamandal Temple
मुख्य बातें
  • देहरादून स्थित लाखामंडल मंदिर को पांडवों ने बनाया था।
  • इसी जगह पांडव कौरवों के लाक्षागृह षड़यंत्र से बच निकलने में कामयाब हुए थे। 
  • लाखा का मतलब है लाख और मंडल का अर्थ लिंग।

Lakha Mandal temple of Uttarakhand. देवभूमि उत्तराखंड में आज लोकतंत्र का पर्व चुनाव का मतदान हो रहा है। उत्तराखंड राज्य अपने मंदिरों के लिए जाना जाता है। खासकर महाभारत काल से उत्तराखंड का गहरा संबंध है। राज्य की राजधानी देहरादून स्थित लाखामंडल मंदिर को पांडवों ने ही बनाया था। महाभारत के अनुसार इसी जगह पर पांडव कौरवों के लाक्षागृह षड़यंत्र से बच निकलने में कामयाब हुए थे। 

लाखामंडल  के भवानी पर्वत में कई रहस्यमयी गुफाएं हैं। मान्यताओं के अनुसार  दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए पुरोचन से लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। इसके बाद विदुर ने एक खनिक को भेजकर एक सुरंग का निर्माण करवाया था। ये सुरंग एक गुफा की तरफ जाती थी और वहां पर से बाहर निकलने का रास्ता था। युद्धिष्ठर अपने चारों भाई और माता कुंति के साथ चित्रेश्वर नाम की गुफा से निकले थे। शिव मंदिर से 2 किमी की दूरी पर ही लाखामंडल गांव के निचले हिस्से में ये गांव मौजूद है।

Also Read: उत्तराखंड के इस गांव में आज भी रो रहे हैं पाताल लोक के राजा, इस कारण होती है दुर्योधन और कर्ण की पूजा

महाभारत युद्ध के बाद करवाया निर्माण
लाखा का मतलब है लाख और मंडल का अर्थ लिंग। महाभारत की एक अन्य कहानी के अनुसार जब पांडव महाभारत के युद्ध के बाद हिमालय आए तो उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। उन्होंने यहां पर एक लाख शिवलिंगों की स्थापना की थी। एक लाख शिवलिंगो के कारण इस जगह का नाम लाखामंडल रखा गया था। लाखामंडल मंदिर केदारनाथ की शैली में बनाया हुआ है। इसके गर्भगृह में भगवान शिव, पार्वती, काल भैरव, कार्तिकेय, सरस्वती, गणेश, दुर्गा, विष्णु और सूर्य-हनुमान की मूर्तियां है। 

द्वापर और त्रेता युग का है शिवलिंग 
मंदिर में मौजूद शिवलिंग द्वापर और त्रेता युग के हैं। जब भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया था। इसके अलावा मंदिर के गर्भगृह में मौजूद पांव के निशान माता पार्वती के बताए जाते हैं। 

गर्भगृह के शिवलिंग की खोज तब हुई जब यमुना नदी के पार से एक गाय ने यहां आकर दूध से लिंग का अभिषेक किया था।  मंदिर के सभी पत्थरों पर गाय के खुरों के निशान दिख सकते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल