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Ahoi Ashtami Vrat Katha: संतान की लंबी आयु के लिए अहोई माता की कथा, अहोई अष्टमी व्रत पर जरूर सुनें

Updated Oct 28, 2021 | 13:36 IST

Ahoi Ashtami 2021 Vrat Katha in Hindi (अहोई अष्टमी व्रत कथा): हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखकर प्रदोष काल में अहोई माता की पूजा अर्चना करती हैं।

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अहोय अष्टमी व्रत कथा 2021
मुख्य बातें
  • कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल रखा जाता है अहोई अष्टमी व्रत।
  • 28 अक्टूबर दिन गुरुवार को इस साल रखा जाएगा यह व्रत।
  • संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है उपवास।

Ahoi Ashtami 2021 Vrat Katha in Hindi (अहोई अष्टमी व्रत कथा): संतान की प्राप्ति और उनकी लंबी आयु के लिए महिलाएं कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई माता का व्रत करती हैं। इस साल अहोई अष्टमी व्रत 28 अक्टूबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा। इस दिन सभी माताएं अहोई माता की पूजा अर्चना प्रदोष काल में निर्जला रहकर करती हैं। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन यदि माताएं श्रद्धा पूर्वक अहोई माता की पूजा करें, तो माता प्रसन्न होकर उनके पुत्र की दीर्घायु कर देती हैं।

शास्त्र के अनुसार इस पूजा में माता की कथा सुनना या पढ़ना बेहद लाभदायक होता हैं। ऐसा कहा जाता है इस व्रत की कथा सुनने से ही संपूर्ण फल की प्राप्ति हो जाती है। तो आइए चले अहोई अष्टमी व्रत की पूरी कथा वृतांत से जानने।

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अहोई अष्टमी व्रत कथा:

एक समय की बात है। एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात बेटे थे। सातों की शादी हो चुकी थी। एक बार दीपावली के कुछ दिन पहले उसकी बेटी अपनी भाभियों के संग घर की लिपाई के लिए जंगल से मिट्टी लाने के लिए गई। जंगल से मिट्टी खोदते वक्त गलती से खुरपी स्याहू के बच्चे पर लग गई जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना को देखकर स्याहू की माता बहुत दुखी हुई और उसने साहूकार की बेटी को कभी भी मां न बनने का श्राप दे दिया।

देखें अहोई माता आरती ह‍िंदी में 

इस श्राप के प्रभाव से साहूकार की बेटी को के घर किसी भी संतान का जन्म नहीं हुआ। इस वजह से साहूकार की बेटी बहुत दुखी रहने लगी। एक बार उसने अपनी भाभियों से कहा कि आप में से कोई एक भाभी अपनी कोख बांध लें। अपनी ननद की यह बात सुनकर सबसे छोटी भाभी तैयार हो गई। श्राप के प्रभाव के कारण जब भी वह कोई बच्चे को जन्म देती वह 7 दिन बाद मर जाता था। यह देखकर साहूकार की बेटी अपनी इस समस्या को लेकर एक पंडित से के पास गई।

पंडित ने साहूकार की बेटी की सारी व्यथा सुनी और उन्होंने सुरही गाय की सेवा करने को कहा। यह बात सुनकर साहूकार की बेटी सुरही गाय की सेवा करनी शुरू कर दी। उसकी सेवा को देखकर गाय बहुत प्रसन्न हुई और एक दिन  साहूकार की बेटी को स्याहू के माता के पास ले गई। रास्ते में जाते वक्त उसे गरुड़ पक्षी के बच्चे दिखे जिसे सांप मारने वाला था। जैसे ही सांप बच्चे को मारने की कोशिश की साहूकार की बेटी ने सांप को मारकर गरुड़ पक्षी के बच्चे को बचा लिया। उसी समय गरुड़ पक्षी की मां वहां आई और वह देखकर बहुत प्रसन्न हुई। 

तब वह उसे स्याहू की माता के पास ले गई। स्याहू की माता उसके उपकार को सुनकर बहुत प्रसन्न हुई और उसने उसे सात संतान की माता होने का आशीर्वाद दिया। उनके आशीर्वाद से उसके कोख से 7 पुत्र ने जन्म लिया। इस तरह से उसका परिवार भरापूरा हो गया और वह सुखी जीवन व्यतीत करने लगी। इसलिए अहोई अष्टमी को माता अहोई की कथा जरूर सुनें।

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