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छठ पूजा व्रतियों ने भगवान सूर्य को दिया संध्या अर्घ्य, सुबह के अर्घ्य के लिए भगवान भास्कर के उदय का इंतजार

Updated Nov 10, 2021 | 18:38 IST

Chhath Puja Arghya 2021: छठ पूजा का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने अर्घ्य देते हुए सूर्य देव को नमन किया और अब अगले दिन के सूर्योदय का इंतजार है जब एक बार फिर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा।

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छठ पूजा 2021 पर सूर्य अर्घ्य (Photo Credit - iStock)
मुख्य बातें
  • सप्तमी तिथि को पूर्ण होगा छठ पूजा व्रत का पर्व
  • 11 नवंबर को सूर्योदय के समय व्रती लोग देंगे अर्घ्य
  • षष्ठी तिथि पर शाम को श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को चढ़ाया जल

Chhath Puja 2021 Arghya: छठ पूजा उत्सव उषा अर्घ्य नामक एक अनुष्ठान के साथ समाप्त होता है यह कार्तिक, शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की सुबह किया जाता है। साल 2021 में यह अनुष्ठान 11 नवंबर को होगा क्योंकि इसी दिन सप्तमी तिथि भी है। इससे पहले आज व्रती लोगों ने छठ पूजा के दौरान दिया जाने वाला संध्या अर्घ्य दिया। 10 नवंबर को षष्ठी तिथि पर शाम के समय अस्त होते सूर्यदेव को छठ व्रत रखने वाले लोगों ने सूर्य देव को अर्घ्य दिया।

व्रत रखने वालों को उगते सूर्य को प्रणाम करना चाहिए और इसलिए, अनुष्ठान को उषा अर्घ्य कहा जाता है, जिसमें उषा का अर्थ है भोर। दिलचस्प बात यह है कि षष्ठी की शाम को, भक्त सूर्यास्त के समय सूर्य देवता की पूजा करते हैं और इस परंपरा को संध्या अर्घ्य (शाम के समय किया जाने वाला अर्घ्य) कहा जाता है। छठ पूजा 2020 उषा अर्घ्य सूर्योदय समय और विधि के बारे में जानने के लिए पढ़ें।

इस साल 10 नवंबर को उषा अर्घ्य किया गया। छठ पूजा 2020 उषा अर्घ्य के समय प्रातः 06:49 बजे उदय होने की संभावना है। एक नजर डालते हैं 10 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में छठ पूजा का पर्व किस प्रकार मनाया गया।

दिल्ली में कोविड-19 महमारी के चलते नदियों के किनारे छठ पूजा करने पर डीडीएमए द्वारा लगाई गई रोक की वजह से पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने कई श्रद्धालुओं और व्रतियों को यमुना नदी के घाटों पर जाने से रोक दिया और पहले से जुटे लोगों को वहां से वापस भेज दिया। दिल्ली में कालिंदी कुंज के पास यमुना घाट पर बुधवार सुबह श्रद्धालुओं की भीड़ जमा थी जिन्हें पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने तितर-बितर कर दिया और उन्हें निर्धारित स्थानों पर पूजा करने के लिए भेजा।

दिल्ली सरकार के दावे की माने तो राष्ट्रीय राजधानी में छठ पूजा करने के लिए करीब 800 अस्थायी घाट विभिन्न स्थानों पर बनाए गए हैं। चार दिन तक चलने वाला छठ महापर्व मुख्यत: बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड से आकर यहां रह रहे लोग मनाते हैं जिन्हें ‘पूर्वांचली’ कहा जाता है। महापर्व के तीसरे दिन शाम को व्रती निर्जला रहकर डूबते सूर्य को ‘अर्घ्य’ देते हैं जबकि चौथे दिन उगते सूर्य को ‘अर्घ्य’ देने के साथ इस महापर्व का समापन होता है।

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