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janmashtami vrat katha: जन्माष्टमी की कथा से पूर्ण करें व्रत, पढ़ें श्री कृष्ण के जन्म की पूरी कहानी

Updated Aug 30, 2021 | 14:54 IST

Janmashtami 2021 Vrat Katha: हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन कथा श्रवण करने का विशेष महत्व है। 

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जन्माष्टमी पर अवश्य करें श्री कृष्ण जन्म कथा श्रवण (Pic: - Istock)
मुख्य बातें
  • 30 अगस्त 2021 को है जन्माष्टमी का त्योहार।
  • जन्माष्टमी कथा के पाठ से मिलेगा व्रत का पूरा फल
  • श्री कृष्ण के जन्म की कहानी के हैं कई दिलचस्प पहलू

Janmashtami 2021 Katha In Hindi: भगवान श्री कृष्ण को समर्पित जन्माष्टमी का त्योहार आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर वर्ष यह तिथि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर पड़ती है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस शुभ पर्व पर लोग भगवान विष्णु के आठवें अवतार यानी भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा श्रद्धा पूर्वक करते हैं। जन्माष्टमी के मौके पर भगवान श्री कृष्ण के भक्त उनके पालना तथा बांसुरी को सजाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी पर व्रत रखना अत्यंत लाभदायक है। इस दिन कथा श्रवण करने के बाद ही पूजा का समापन करना चाहिए। जो भक्त भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनता है उसे भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Lord Shri Krishna Janmashtami Katha In Hindi, जन्माष्टमी की व्रत कथा 

कंस के अत्याचार से परेशान थी जनता

जन्माष्टमी व्रत कथा के अनुसार, द्वापर युग में अत्यंत प्रतापी और दयालु राजा उग्रसेन मथुरा पर राज करते थे। जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा कंस मासूम लोगों पर अत्याचार करता है। तब उन्होंने उसे खूब समझाना चाहा। लेकिन, कंस ने अपने पिता का विरोध किया और उन्हें गद्दी से उतार कर कारागार में डाल दिया। राजगद्दी हासिल करने के बाद कंस ने अपने विशालकाय साम्राज्य की‌ स्थापना की। वह बहुत ही शक्तिशाली राजा था। मगर, दिन पर दिन उसका अत्याचार मासूम लोगों पर बढ़ता जा रहा था। 

कंस के मृत्यु की हुई आकाशवाणी 

कंस को अपनी बहन देवकी बहुत प्रिय थी। देवकी का विवाह यदुवंशी सरदार वसुदेव से हुआ था। एक दिन जब कंस अपनी बहन को ससुराल ले जा रहा था तब अचानक से एक आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी के अनुसार देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करने वाला था। यह आकाशवाणी सुनकर कंस क्रोधित हो गया जिसके बाद उसने वसुदेव को मारने की कोशिश की। 

देवकी ने बचाए अपने पति के प्राण 

अपने पति पर हो रहे अत्याचार को देख कर देवकी ने कहा कि उसकी जो भी संतान होगी उसे वह कंस को सौंप देगी। जिसके बाद कंस‌ ने वसुदेव को नहीं मारा लेकिन अपनी बहन और उसके पति को कारागार में भेज दिया। 

ऐसे बची देवकी के आठवें पुत्र की जान

वसुदेव और देवकी की जब भी संतान होती थी तब कंस उसे मार डालता था। देवकी और वसुदेव की यह पीड़ादायक कहानी नंद और यशोदा को पता चली। जिसके बाद जब देवकी का आठवां पुत्र हुआ तब यशोदा की एक कन्या ने‌ भी जन्म लिया था। मगर यह कन्या सिर्फ एक माया थी। 

वसुदेव को मिला भगवान विष्णु का आशीर्वाद

जब देवकी ने अपने आठवें पुत्र को जन्म दिया था तब भगवान विष्णु प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु ने यह कहा था कि वह इस धरती पर कंस का वध करने के लिए जन्म लिए हैं। इसके साथ उन्होंने वसुदेव और देवकी को अपने आठवें पुत्र की रक्षा करने का रास्ता बताया। उन्होंने कहा कि अपने आठवें पुत्र को नंद के घर ले जाओ और वहां जन्मी कन्या को यहां ले आओ और कंस को सौंप दो। इसके साथ श्री कृष्ण ने अपना आशीर्वाद देते हुए वासुदेव और देवकी से यह कहा कि दरवाजे पर खड़े पहरेदार गहरी नींद में चले जाएंगे। कारागृह के दरवाजे खुद-ब-खुद खुल जाएंगे और यह यमुना मार्ग दिखाएगी। 

अपने आठवें पुत्र को बचाने निकले वसुदेव

श्री कृष्ण की बात मानकर वसुदेव ने अपने आठवें पुत्र को उठाया और नंद के पास ले जाकर छोड़ दिया। और यशोदा के पास सो रही कन्या को मथुरा ले आए। जब वसुदेव वापस आए तो उन्होंने देखा कि कारागृह के दरवाजे बंद हो गए हैं। इसी बीच कंस को यह पता चल गया था कि देवकी ने अपने आठवें संतान को जन्म दे दिया है। ‌जब वह कारागार गया तो अपने हाथों में कन्या को उठा लिया। वह जैसे ही उस कन्या को जमीन पर पटकने वाला था। वैसे ही कन्या ने उसे यह चेतावनी दिया कि उसे मारने वाला वृंदावन में है और उसे अपने पापों की सजा जरूर मिलेगी। 

नंद और यशोदा ने श्रीकृष्ण को पाला और श्री कृष्ण ने कंस का वध किया। जन्माष्टमी के अवसर पर लोग श्री कृष्ण की पूजा करते हैं तथा धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं।

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