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22 मई को है ज्येष्ठ अमावस्या और वट सावित्री पूजा, जानें इनका महत्व और शुभ मुहूर्त

Updated May 21, 2020 | 08:10 IST

Jyeshtha Amavasya 2020 and Vat Savitri puja: शुक्रवार को ज्येष्ठ अमावस्या और वट सावित्री पूजा है। दोनों का ही बहुत महत्व है।

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Jyeshtha Amavasya 2020 and Vat Savitri puja
मुख्य बातें
  • ज्येष्ठ अमावस्या पर करें पिंड दान
  • सुहागिनों के लिए होता है वट सावित्री व्रत
  • बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है

हिंदू पंचांग के मुताबिक शुक्रवार यानी 22 मई को ज्येष्ठ अमावस्या है। इसी दिन वट सावित्री व्रत भी है। दोनों का अपना अलग-अलग महत्व है। अमावस्या पर पितरों को तर्पण किया जाता है और दान-पुण्य किया जाता है। वहीं वट सावित्री का व्रत और पूजा सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। हम आपको बताते हैं इन दोनों की पर्व के बारे में...

ज्येष्ठ अमावस्या


शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या 21 मई की रात को ही 9 बजकर 35 मिनट से शुरू हो जाएगी। जो 22 मई को रात 11 बजकर 07 मिनट तक रहेगी। आप 22 मई को किसी भी वक्त पूजा कर सकते हैं और पितरों को तर्पण कर सकते हैं।

महत्व और पूजा विधि
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पिंड दान का महत्व है। इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है और पूर्वजों की कृपा दृष्टि बनी रहती है। पूजा की अगर बात करें तो सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा करें और पिंड दान करें। अगर आप व्रत न भी कर रहे हों, तो भी पिंड दान से पहले कुछ न खाएं। पहले पिंड दान करें और उसके बाद ही भोजन ग्रहण करें।

वट सावित्री व्रत


महत्व
ज्येष्ठ मास की कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। विवाहित महिलाएं अपने सुहाग के लिए वट सावित्री का व्रत करती हैं और अपने पति की सेहत और समृद्धि की कामना करती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, माता सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज के छुड़वाया था। 

शुभ मुहूर्त
वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त अमावस्या के ही हिसाब से है। जो 21 मई की रात 9 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 22 मई की रात 11 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। आपको बता दें कि इस दिन बरगद के पेड की पूजा की जाती है। क्योंकि बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति को जीवित किया था। इसी वजह से इस व्रत को वट सावित्री कहा जाता है।

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