- आश्विन मास की पूर्णिमा तथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का हुआ था जन्म।
- इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से होता है परिपूर्ण।
Kojagiri Purnima Laxmi Puja 2021: आश्विन मास की पूर्णिमा तथि को शरद पूर्णिमा मनाया जाता है, इसे कोजागरी और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कोजागरी लक्ष्मी पूजा भी होती है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर आसमान से अमृत की वर्षा करता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। मां लक्ष्मी इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु के साथ गरुण पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करने से देवी लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस बार कोजागरी व्रत 19 और 20 अक्टूबर 2021 यानी बुधवार और गुरुवार दो दिन है। मान्यता है कि इस दिन रात को खीर बनाकर इसे खुले आसमान में रखना चाहिए, क्योंकि शरद पूर्णिमा की रात में आसमान से अमृत की वर्षा होती है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं साल 2021 में कोजागरी व्रत कब है और पूजा का समय व महत्व।
कोजागरी व्रत 2021:
हिंदू पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा तथि को मनाया जाता है। इस दिन कोजागरी लक्ष्मी पूजा होती है। यानि इस बार कोजागरी व्रत का मुहूर्त 19 अक्टूबर 2021 से शुरू होकर 20 अक्टूबर 2021 को समाप्त है। पूर्णिमा तिथि मुहूर्त पर 20 अक्टूबर को सुबह का समय है इसलिए यह व्रत कई जगह इसी दिन मनाया जाएगा।
इस दिन श्री हरि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और धन की वर्षा होती है। आइए जानते हैं कोजागरी पूजा का शुभ मुहूर्त:
शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 19 अक्टूबर 2021, बुधवार को 7:03 Pm
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 20 अक्टूबर 2021, गुरुवार को 8:26 Pm तक
पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय- 05:20 Pm
कोजागरी पूर्णिमा का महत्व:
पौराणिक कथाओं के अनुसार कोजागरी पूर्णिमा यानि शरद पूर्णिमा के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यह पर्व मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण के लिए निकलती हैं।
ऐसे में जो भी भक्त श्रद्धाभाव से श्रीहरि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है उसे धन की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि इस दिन प्रसाद के रूप में खीर खाने से सभी रोग दोष से मुक्ति मिलती है।