- एकादशी तिथि और तुलसी विवाह की पूजा में है गहरा संबंध
- देव उठनी एकादशी के बाद प्रदोष काल में होती है शालीग्राम-तुलसी विवाह पूजा
- यहां जानिए तुलसी विवाह की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
Tulsi Vivah 2021 Date, Puja Muhurat: कार्तिक के महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन देव उठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी पड़ती है। इस अवसर पर भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ माता तुलसी का विवाह भी किया जाता है। इस साल 2021 में एकादशी तिथि दो दिन पड़ने से तुलसी विवाह और देव उठनी एकादशी की डेट को लेकर भ्रम हो रहा है। इस बार एकादशी तिथि 14 नवंबर को सुबह 5 बजकर 48 मिनट पर शुरू हो जाएगी, जिस वजह से एकादशी व्रत 14 नवंबर को ही रखा जाएगा।
विशेषज्ञ विद्वानों के अनुसार एकादशी तिथि सूर्योदय से पहले लगने पर एकादशी व्रत उसी दिन होता है। एकादशी व्रत का पारण 15 नवंबर, सोमवार को होगा लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रविवार को तुलसी तोड़ना वर्जित है।
ऐसा भी मत है कि जिस दिन एकादशी तिथि समाप्त होकर द्वादशी तिथि का आरंभ हो रहा हो उसी दिन प्रबोधिउत्सव के साथ तुलसी विवाह करना चाहिए। यहां जानिए तुलसी विवाह के जुड़े मुहूर्त और पूजा विधि।
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 14 नवम्बर, 2021 को सुबह 05:48 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - 15 नवम्बर, 2021 को सुबह 06:39 बजे
तुलसी विवाह मुहूर्त (Tulsi Vivaah Muhurat 2021)
15 नवंबर को शाम 6 बजे से 7 बजकर 40 मिनट तक प्रदोष काल का समय रहेगा और इसी दौरान तुलसी विवाह उत्सव का शुभ मुहूर्त है।
तुलसी विवाह की पूजा विधि (Tulsi Vivaah 2021 Puja Vidhi)
एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह उठकर स्नान आदि करें और व्रत का संकल्प करें। इसके बाद भगवान विष्णु की अराधना करें। अब भगवान विष्णु के सामने दीप-धूप जलाकर फिर उन्हें फल, फूल और भोग अर्पित करें।
ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरूर अर्पित करनी चाहिए। शाम को विष्णु जी की अराधना करते समय विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ कर सकते हैं।
एकादशी के दिन पूर्व संध्या को व्रती को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए। एकादशी के दिन व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता। एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित है। एकादशी का व्रत खोलने के बाद ब्राहम्णों को दान-दक्षिणा दें। एकादशी के व्रत के बाद अगले दिन तुलसी विवाह के उत्सव और शालीग्राम तुलसी विवाह पूजा से अधिक पुण्य प्राप्त होता है।