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ओलंपियन के 'टैलेंट' पर पड़ी महामारी की मार, गोल्ड मेडल जीतने वाला गुजारे के लिए घर-घर पहुंचा रहा खाना

Updated Nov 18, 2020 | 13:11 IST

Olympian Ruben Limardo Gascon: कोरोना महामारी के चलते ओलंपियन रूबेन लिमार्डो गैस्कॉन पर बुरी मार पड़ी है। उन्हें डिलीवरी ब्वॉय बनने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
रूबेन लिमार्डो गैस्कॉन

कोरोनो वायरस महामारी के कारण न सिर्फ आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है बल्कि इसने आर्थिक तबाही भी मचाई है। ऐसा लोगों की बड़ी तादाद है, जिन्हें रोजमर्रा की जरूरी चीजें खरीदने के लिए भी जूझना पड़ा रहा है। सरकारी-निजी कर्मचारी, कारोबारी और मजदूर से लेकर खिलाड़ी तक इस फेहरिस्त में शामिल हैं। 8 साल पहले ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले एक खिलाड़ी रुबेन लिमार्डो गैस्कॉन कि आर्थिक स्थित इतना खराब हो गई है कि वह अब परिवार के गुजारे के लिए फूट डिलीवरी ब्वॉय का काम कर रहे हैं। वह अपनी साइकल पर सवार होकर घर-घर जाकर खाना पहुंचाते हैं।

लंदन ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता

रुबेन वेनेजुअला की नेशनल फेंसिंग (तलवारबाजी) टीम के सदस्य हैं। उन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। वह लंदन ओलंपिक में तलवारबाजी का गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले एथलीट बने थे। वेनेजुअला के इतिहास का यह दूसरा ओलंपिक मेडल था। उन्हें मेडल जीतने पर तब काफी सम्मानित किया गया था। लेकिन इन दिनों वह पोलैंड के लॉड्ज शहर में साइकिल से फूड डिलीवरी कर रहे हैं। लिमार्डो यहां अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। हालांकि, उनकी नजरें टोक्यो ओंलंपिक में हिस्सा लेने पर टिकी है। रुबेन के साथ-साथ फेंसिंग म के 20 खिलाड़ी भी यही काम कर रहे हैं। 

'मैं अपना खेल नहीं छोड़ता चाहता'

35 वर्षीय रुबेन ने फूड डिलीवरी ब्वॉय को लेकर कहा कि हमें वेनेजुअला से काफी कम पैसे मिले। वहां हालात खराब हैं। कोरोना महामारी ने सब बदल दिया है। ऐसे में हमें इस तरह अपनी रोजाना की जिंदगी चला रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अब कोई स्पॉन्सरशिप नहीं है, क्योंकि प्रतियोगिता नहीं है। हालांकि, मुझे अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए कुछ संसाधन जुटाने पड़े हैं। उन्होंने कहा कि मैं खेल नहीं छोड़ना चाहता, क्योंकि मेरे पास अभी भी एक सपना है। बता दें कि रुबेन ने रियो ओलंपिक में भी हिस्सा लिया था, लेकिन वह कोई पदक नहीं जीत सके थे।