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मजदूरी कर परिवार का पेट पालने को मजबूर है पांच बार का स्टेट चैंपियन खिलाड़ी

Updated Jul 27, 2020 | 09:07 IST

Dhananjay Gautam work as a labourer: धनंजय वुशु खिलाड़ी हैं और कई बार राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्पर्धाओं में कानपुर और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पांच बार राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।

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धनंजय गौतम
मुख्य बातें
  • पांच बार के चैंपियन खिलाड़ी को खर्च उठाने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है
  • कोरोना काल के बीच धनंजय को मजदूरी या पुट्टी का काम करना पड़ रहा है
  • धनंजय के परिवार में उनके अलावा पिता, मां और दो छोटे भाई हैं

कानपुर: कोरोना काल ने अच्छे-अच्छे लोगों को अर्श से फर्श पर ला पटका है। हर किसी की जिंदगी की गाड़ी पटरी से उतर गई है। ऐसी ही स्थिति का सामना उत्तर प्रदेश का कानपुर के एक खिलाड़ी को भी करना पड़ रहा है। वुशु में उत्तर प्रदेश के पांच बार के चैंपियन खिलाड़ी को खर्च उठाने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। तंगी का आलम ऐसा है कि उसे जो काम मिलता है वो उसे करने को तैयार हो जाता है। 

ये कहानी है कानपुर के युवा खिलाड़ी धनंजय की। धनंजय वुशु के खिलाड़ी हैं और कई बार राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्पर्धाओं में कानपुर और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और पांच बार वो राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक जीता है। ऐसे में उन्हें कोरोना काल में पिता के एक्सीडेंट होने का कारण मजदूरी या पुट्टी का काम करना पड़ रहा है। 

अब तक कुल 17 मेडल जीत चुके धनंजय ने मजदूरी करने की मजबूरी का जिक्र करते हुए कहा,  पिता दुर्घटना का शिकार हो गए इसलिए काम करने में सक्षम नहीं हैं। लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं ऐसे में परिवार का पेट भरने के लिए जो काम मिल जाता है वो कर लेते हैं। मजदूरी हो या पुट्टी कोई काम करने में उन्हें परहेज नहीं है।' धनंजय के परिवार में उनके अलावा पिता, मां और दो छोटे भाई हैं।

कोच को अपने शिष्‍य पर भरोसा

धनंजय के कोच संजीव शुक्ला ने कहा, 'कोरोना वायरस की वजह से उपजे लॉकडाउन की वजह से स्थितियां खराब हो गई हैं। कुछ खिलाड़ी पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में उनकी मदद किसी तरह से नहीं हो पा रही है। उन्हें जो भी काम अपने स्तर पर दिख रहा है वो कर रहे हैं।' धनंजय को प्रतिभाशाली खिलाड़ी बताते हुए कहा कि वो जिला लेवल से नेशनल लेवल तक कई स्वर्ण पदक जीत चुका है। 

कोरोना के बाद स्थितियां जब सामान्य होंगी तो कानपुर के लोग उन्हें एक बार फिर मेडल जीतता देखेंगे। खिलाड़ी हैं और शुरुआत से परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रही है। पिता स्थितियों को संभाले हुए थे लेकिन अब ऐसी स्थिति आ गई है कि पिता की तबीयत खराब है जो अब जिम्मेदारी इसके सिर पर आ गई है। घर का खर्च भी चलाना है और ट्रेनिंग भी करना है ऐसी स्थिति में और कोई विकल्प नहीं है।'

क्या होता है वुशु

वुशु, एक पारंपरिक चीनी मार्शल आर्ट खेल है, इस खेल को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया  है - ताओलू और संसौ। ताओलू पूर्व निर्धारित, एक्रोबेटिक आंदोलनों से संबंधित है जहां प्रतियोगी काल्पनिक हमलावरों के खिलाफ उनकी तकनिकियों पर महारथ हासिल की जाती  है। दूसरी तरफ, संसौ एक पूर्ण संपर्क खेल है, प्राचीन प्रथाओं और आधुनिक खेल सिद्धांतों का संयोजन है, जो कि कुश्ती या किक-मुक्केबाजी जैसा दिखता है।