- जर्मनी को 5-4 से हराकर ओलंपिक में भारत ने जीता कांस्य पदक
- भारतीय टीम ने 1980 मास्को ओलंपिक में जीता था स्वर्ण पदक
- टीम इंडिया की जीत पर सोशल मीडिया पर बधाई संदेश दे रहे हैं लोग
नई दिल्ली: भारत की पुरुष हॉकी टीम ने आज ओलंपिक में इतिहास रचते हुए 41 साल का सूखा खत्म करते हुए कांस्य पदक जीता। रोमांचक मुकाबले में टीम इंडिया ने जर्मनी को 5-4 से शिकस्त दी। एक समय भारतीय टीम जर्मनी के खिलाफ 1-3 से पीछे चल रही थी लेकिन उसके बाद भारत ने जो वापसी की वो हैरान करने वाली थी। टीम इंडिया ने सात मिनट में चार गोल करते हुए पूरे मैच का नक्शा ही पलट दिया। अंतिम 6 सेकेंड में गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने जैसे ही तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को मिली पेनल्टी को रोका तो हर देशवासी खुशी के मारे उछल पड़ा।
एक समय पिछड़ गई थी टीम
जर्मनी ने गेम के दूसरे मिनट में ही एक शानदार फील्ड गोल करते हुए बढ़त बना ली। दूसरे क्वार्टर में भारत के सिमरनजीत सिंह ने बेहतरीन फील्ड गोल्ड दागते हुए स्कोर1-1 से बराबर कर दिया लेकिन इसके बाद जर्मनी ने 1 मिनट के अंदर दो गोल करते हुए 25वें मिनट में 1 के मुकाबले 3 गोल की लीड ले ली। भारत ने हार नहीं मानी और अपना जोश तथा जज्बा जारी रखा जिसका फायदा भी मिला।
भारत ने हर मौके को भुनाया
27वें मिनट में हार्दिक सिंह ने पेनाल्टी कार्नर पर गोल किया जबकि 29वें मिनट में हरमनप्रीत सिंह ने भी पेनाल्टी कार्नर पर ही गोल किया। भारत ने पेनाल्टी कॉर्नर के मौकों को शानदार तरीके से भुनाया जबकि जर्मनी को काफी मौके मिले लेकिन भारत के शानदार डिफेंस और गोलकीप श्रीजेश की मुस्तैदी के आगे उसके सारे प्रयास नाकाम रहे। रुपिंदर पाल सिंह ने 31वें मिनट में पेनाल्टी स्ट्रोक पर भारत के लिए चौथा गोल किया जबकि हरमनप्रीत सिंह ने 34वें मिनट में अपना दूसरा और टीम को 5-3 की बढ़त दिला दी।
अंतिम मिनट में मिले कई मौके
अंतिम समय में जर्मन टीम ने कई हमले किए। यहां तक कि जर्मनी को अंतिम मिनट में लगातार चार पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन अमित रोहिदास ने विरोधी टीम को सफलता हासिल नहीं करने दी। अंतिम 6 सेकेंड में जर्मनी को फिर से पेनाल्टी कॉर्नर मिला लेकिन भारतीय मजबूत डिफेंस के आगे वह गोलपोस्ट को नहीं भेद सका। जर्मनी की टीम बराबरी की तलाश में अंतिम पांच मिनट में बिना गोलकीपर के खेली।