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इसलिए काफी महत्व रखता है नीरज चोपड़ा का ये ओलंपिक गोल्ड मेडल, इतिहास रचने से चूक गए थे मिल्खा सिंह और पीटी उषा

Updated Aug 07, 2021 | 23:08 IST

हर कोई नीरज चोपड़ा पर गर्व कर रहा है। दरअसल, 130 करोड़ भारतीयों को 23 साल के लड़के ने ऐसी खुशियां भी दी हैं। ओलंपिक के ट्रैक एंड फील्ड में पहली बार किसी भारतीय ने मेडल जीता है और वो भी गोल्ड मेडल जीता है।

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मुख्य बातें
  • व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले दूसरे भारतीय बने नीरज चोपड़ा
  • ओलंपिक में भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने भारत को दिलाया ऐतिहासिक स्वर्ण
  • नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए ट्रैक एवं फील्ड में पहला स्वर्ण जीता

नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में भारत के गोल्डन ब्वॉय बने हैं। एक किसान के बेटे ने वो कर दिखाया, जो ओलंपिक के 125 साल के इतिहास में अब तक कोई भारतीय नहीं कर पाया। ओलंपिक के ट्रैक एंड फील्ड में पहली बार किसी भारतीय ने मेडल जीता है और वो भी गोल्ड मेडल जीता है। जिस बात को 100 साल में असंभव माना गया, उसे नीरज चोपड़ा ने संभव बना दिया। पीढ़ियों में कोई नीरज चोपड़ा पैदा होता है। और इसीलिए आज पूरा देश अपने इस ग्लोडन ब्वॉय को सेलिब्रेट कर रहा है।

फाइनल में नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर दूर भाला फेंका। उनके बाद चेक रिपब्लिक के वादलेक जाकूब थे। जिन्होंने 86.67 मीटर दूर भाला फेंका। यानी करीब एक मीटर का फासला रहा है।   फाइनल में नीरज चोपड़ा ने पहले अटेम्प्ट में 87.03 मीटर। दूसरे अटेम्प्ट में 87.58 मीटर भाला फेंका। इसी ने उन्हें गोल्ड दिला दिया।  

जब चूक गए थे मिल्खा सिंह और पीटी उषा

यकीन मानिए कि हम बहुत भाग्यशाली हैं कि नीरज चोपड़ा जैसा खिलाड़ी हमें मिला है। और हम बहुत भाग्यशाली हैं कि ओलंपिक के ट्रैक एंड फील्ड में हमने किसी भारतीय को मेडल जीतते हुए देखा है। नहीं तो 100 साल निकल गए। कोई ऐसा लम्हा नहीं देख पाया। एक लम्हा 1960 के रोम ओलंपिक में जरूर आया था, जब मिल्खा सिंह 400 मीटर की रेस में चौथे नंबर पर थे और 0.1 सेकेंड से मेडल से चूक गए थे। दूसरा लम्हा 1984 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक में आया था, जब पीटी उषा 400 मीटर की बाधा दौड़ चौथे नंबर पर थी और सेकेंड के 100वें हिस्से से मेडल से चूक गई थीं।

अभिनव बिंद्रा के बाद दूसरे भारतीय

नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतने के बाद जिस खिलाड़ी को सबसे पहले याद किया, वो कोई और नहीं ट्रैक एंड फील्ड में भारत के महानायक मिल्खा सिंह थे, जिनका इसी साल जून में निधन हो गया था। आज मिल्खा सिंह अगर जीवित होते, तो उनसे ज्यादा खुश कोई और नहीं होता। मिल्खा सिंह का सपना था कि ट्रैक एंड फील्ड में कोई भारतीय गोल्ड मेडल जीते, आज नीरज चोपड़ा ने उनका सपना पूरा कर दिया। ओलंपिक के 125 साल के इतिहास में हमें सिर्फ 10 गोल्ड मेडल मिले हैं, उनमें से 8 गोल्ड मेडल हॉकी टीम ने जीते हैं। इंडिविजुअल गोल्ड मेडल सिर्फ दो भारतीयों ने जीते। एक गोल्ड मेडल अभिनव बिंद्रा को 2008 में मिला था और दूसरा गोल्ड मेडल अब नीरज चोपड़ा ने जीता है।